बड़े साहब थे बड़े मूड में, भृत्य भेजकर मुझे बुलाये।
छुट्टी का दिन व्यर्थ न जाये, आओ इसे रंगीन बनायें॥
आज के दिन जो मिले नहीं, उस चीज का नाम बताये।
और बोले कहीं से जुगाड़ करो, फिर मंद- मंद मुस्काये॥
नशा से नफरत करता हूँ ,पर ऊँची चीज मैं पीता हूँ।
काजू , भुजिया - सेव , पकौड़े, साथ में लेते आयें॥
हींग लगे, न लगे फिटकरी, रंग भी चोखा हो जाये।
साथ रखो कोई ठेकेदार, पैसे की बचत हो जाये॥
शेरो- शायरी चलती रहे, शायर दो चार पकड़ लाओ।
फड़कदार कोई गज़ल सुनो, पीने का मज़ा आ जाये॥
देश भक्त थे शास्त्री जी, बड़े काबिल और बहादुर थे।
“लाल ” को भी श्रद्धाजंलि देकर, लाल रंग छलकायें॥
और अंत में – ( कविता सार ) *****************************
न देखो बुरा, न सुनो बुरा, न बोलो ऐसे, लगे बुरा।
शायद चौथा बंदर कहता, पियें बुरा न पिलायें बुरा॥
***************************************************
- अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी (छत्तीसगढ़) ( मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
बड़ा ही सटीक व्यंग्य किया है इस रचना में आदरणीय श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी , आज कदाचार इस हद तक बढ़ गया है की ज़मीर जैसी चीज़ लुप्त प्रजाति का गुण हो गया है । और गलती को भी गर्व से गा बजा के निभाया जा रहा है उसका , ग्लोरिफिकेशन करके । अफ़सोस होता है बापू , भगत जैसी विभूतियों ने इसी दिन के लिए देश आज़ाद कराया था ? करारा आक्षेप करती इस रचना के हार्दिक साधुवाद , बधाई !!
आ, गणेशजी बागी ; अरुण शर्मा अनंतजी ; सुशील जोशीजी ; सुरेंद्र कुमार शुक्ला भ्रमरजी ; केवल प्रसाद्जी ; विजय मिश्रजी ; आशुतोष मिश्राजी ; डी पी माथुरजी ; बृजेश नीरज जी ; आ. गीतिका वेदिका जी एवं गिरिराज भाई .........
आप सब की प्रशंसा और हार्दिक बधाई से मुझे और अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है। सामयिक विषय * बड़े साहब की गाँधी जयंती * पर मेरा प्रयास सफल हुआ । आप सभी का हार्दिक धन्यवाद और आभार ॥
बहुत ही सुन्दर व्यंग किया है आपने इसके लिए आप बधाई के पात्र ह
वाह !!
सरकारी लोगों की सरकारी छुट्टी !!
गंभीर व्यंग!!
आनंदित कर देने वाली रचना के लिए हार्दिक बधाई ....छत्तीस गढ़ की मिट्टी से जुदा हूँ और आप भी वहीं से जुड़ें हैं जानकार प्रसन्नता हुई ..सादर
भार्इ जी! एक गंभीर एवं शसक्त रचना। आपको हृदयतल से हार्दिक बधाइयां। सादर,
प्रिय अखिलेश जी आज के काम काज की अफसरनामा की कलई खोलती ..व्यंग्य कसती नशे का विरोध करती अच्छी रचना
आभार
भ्रमर ५
वाह... बहुत खूब आदरणीय अखिलेश जी.... क्या सुंदर प्रस्तुति है आज के दिन... बधाई...
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