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गीत (दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ)

गीत (दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ)

दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ, कोशिशें करके इनको घटा दीजिए,

एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।

 

कहना चाहते हो गर तुम तो खुल के कहो,

वरना रिश्ता ये बदनाम हो जाएगा,

लाख चाहो छुपाना ज़माने से पर,

एक दिन ये सरेआम हो जाएगा,

सुबह की चाय में घोलकर प्यार को, थोड़ी - थोड़ी सी सबको पिला दीजिए,

एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।

दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ......

 

फेरना ना निगाहें हमें देखकर,

रूठ बैठे हो हमसे क्या काफी नहीं,

गल्तियाँ हो ही जाती हैं इन्सान से,

ऐसा भी क्या हमें कोई माफी नहीं,

मन तुम्हारा अगर हमसे चोटिल हुआ, उसमें यादों का मरहम लगा दीजिए,
एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।

दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ......

 

याद है एक दिन आप हमको मिले,

गालों पर मोतियों की थी बिखरी लड़ी,

बादलों ने उकेरी जो तेरी छवि,

आँसू बरसे वहाँ से भी बनके झड़ी,

इस उफनती नदी को मेरी आँख के, गहरे सागर में लाकर समा दीजिए,

एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।

दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ......

.

सुशील जोशी

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 1044

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 6, 2013 at 9:34am

अति सुंदर, सकारात्मक भाव, बधाई स्वीकारें आदरणीय शुशील जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2013 at 9:27am

बिम्बों और प्रतीकों से सजाई गई अभिव्यक्ति जब गीत के माध्यम से पटल पर आये तो क्या कहने, मैं गुनगुनाते हुए पूरी रचना पढ़ गया, वाह आदरणीय सुशील जोशी जी,सच में आनंद आ गया, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर । 

Comment by रविकर on October 6, 2013 at 8:41am

वाह वाह वाह-
क्या बात है आदरणीय-
इस सादगी पर कोई क्यों न मर जाए-
शुभकामनायें स्वीकारें आदरणीय-

Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 7:05am

सुन्दर कामना और भावों से सजा गीत ..बहुत बधाई श्री सुशील जी !!

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