बह्र: 1222/1222/1222/1222
मुकर जाने की आदत आज भी उनकी नहीं जाती
तभी तो उनके घर पर अब तवायफ भी नहीं जाती
सियासत किस तरह से घुल गई फिरकापरस्ती में
चमन में लीडरों के अब कोई तितली नहीं जाती
ये सुनकर उम्र भर रुसवा रहा अपनी मुहब्बत से
कभी भी उठ के स्टेशन से इक पगली नहीं जाती
पढ़ेंगे लोग तो कहने लगेंगे बेवफा तुझको
कई बातें गजल में आज भी लिक्खी नहीं जाती
सितम से ऊब कर तेरा शहर मैं छोड़ दूं कैसे
सितम से जूझती है पर कहीं दिल्ली नहीं जाती
नया आगाज तेरे साथ करना चाहता हूं पर
जहन में कैद है जो याद इक पिछली नहीं जाती
-शकील जमशेदपुरी
—————————————————
*मौलिक एंव अप्रकाशित
Comment
आदरणीय शकील भार्इ जी, वाह ! शानदार गजल। हार्दिक बधार्इ स्वीकारें । सादर,
//पढ़ेंगे लोग तो कहने लगेंगे बेवफा तुझको
कई बातें गजल में आज भी लिक्खी नहीं जाती//
बेहतरीन शकील भाई दाद कुबूल करें
नया आगाज तेरे साथ करना चाहता हूं पर
जहन में कैद है जो याद इक पिछली नहीं जाती............................ खूबसूरत अशअर , दाद कुबूल फरमाए अ0 शकील जमशेदपुरी जी ।
हौसला बढ़ाने के लिए बहुत—बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय मिश्र, गिरिराज भंडारी और अभिनव अरुण सर।
आदरणीय शकील भाई , पूरी ग़ज़ल लाजवाब कही आपने , हर शेर उम्दा !!! दिली दाद कुबूल करें !!!
नया आगाज तेरे साथ करना चाहता हूं पर
जहन में कैद है जो याद इक पिछली नहीं जाती ------------------------ क्या बात है , शकील भाई !!!!
बेहतरीन ग़ज़ल हर शेर बोल रहा है ..नायाब ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद शकील जी !!
आभार आपका आदरणीय अरुन शर्मा अनंत साहब।
वाह भाई वाह बेहतरीन ग़ज़ल पेश की है आपने सभी अशआर पसंद आये खास कर इन अशआरों पर विशेष दाद कुबल फरमाएं.
पढ़ेंगे लोग तो कहने लगेंगे बेवफा तुझको
कई बातें गजल में आज भी लिक्खी नहीं जाती .. वाह
सितम से ऊब कर तेरा शहर मैं छोड़ दूं कैसे
सितम से जूझती है पर कहीं दिल्ली नहीं जाती ... क्या कहने गज़ब
आभार आपका आदरणीय राज बुन्दॆली साहब इस हौसलाअफजाई के लिए।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online