फँसा रहता झमेले में,
मिले जो इनमें कड़वाहट,
नहीं मिलती करेले में,
हुनर जो लेरुओं में है,
नहीं इंसा गदेले में,
भले हम जानवर होकर,
यहाँ आदम के मेले में,
गुरु तो हैं गुरु लेकिन,
भरा है ज्ञान चेले में..
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
वाह वाह अरुन भाई..... कितनी सुंदर गज़ल कही है आपने...... हर मिसरा बहुत ही लाजवाब...... बधाई हो....
आदरणीय अरुण अनंत भाई , बहुत सुन्दर छोटी बह्र मे ग़ज़ल कही आपने , क़ाफिया भी बड़ा मज़ेदार लिया है आपने !!!!!!!!!! आदरणीय बहुत बहुत बधाई !!!!!!!!!!!!
आप बहुत लकी है अरुन अनंत जी, देखिये केतवत लमहर वाह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आदरणीय कविराज जी ने दी है और पूछ भी लिया, क्या बात है !! साथ में बधाई भी ।
आदरणीय अरुण शर्मा जी इतनी अच्छी गजल के लिए अनेकों बधाई । " मिले जो इनमे कडवाहट , नहीं मिलती करेले में "। वाह !!! कडवाहट का इससे बढ़िया मिसाल हो ही नहीं सकता ।
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बात है,,,बधाई,,,,,,,,,,,
बड़ा अनोखा प्रयास है भाई अरूण जी
//अजब इन्सान है देखो,
फँसा रहता झमेले में// ये भी खूब कही, वाह
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online