"प्रकाश आपने मेरी बहन की शादी मे जो अँगूठी गिफ्ट की थी न, वह किसी को पसंद नही आयी, भाभी और माँ ने आपका खूब मज़ाक उड़ाया, वो लोग कह रही थीं कि यह घटिया अँगूठी कहाँ से खरीदी है, एक तो बेहद हल्की है और डिजाइन भी देहाती टाइप, चेहरा लटकाए नीतू एक साथ बोल गयी |
"हूउउउ तो यह बात है, अरे भाई तुम्हे तो पता ही है आजकल पैसे की दिक्कत चल रही है इसलिए अँगूठी खरीदी कहाँ, शादी में तुम्हारी माँ ने जो अँगूठी मुझे दी थी वो नई ही पड़ी थी उसी को साफ करवा कर गिफ्ट कर दिया था |
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट => लघुकथा : कन्या पूजन
Comment
आभार आदरणीय विजय मिश्र जी, जय अम्बे ।
टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय शुभ्रांशु भाई, अगर अँगूठी पहचान ली गई होती तो फिर यह लघुकथा भी न जनमती :-)
गिफ्ट पसंद करने हेतु आभार आदरणीया मंजरी पाण्डेय जी :-)
आदरणीया वंदना जी, आपकी टिप्पणी सदैव उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार ।
आदरणीय सुशील भाई साहब,लघुकथा आपको पसंद आई यह मेरे लिए ख़ुशी की बात है, आप कहें तो कथा नायक का नाम "सुशील" ही रख दूँ हा हा हा हा हा हा,
बहुत बहुत आभार ।
:) waah karara ................karara jabab , bahut acchi lagi laghukatha , aaj ka katu satye ganesh ji . badhai aapko
पति की यह बात पत्नी का मूड और बिगाड़ गयी | ऐसे बाते रिश्तेदारों के यहाँ शादियों में अक्सर सुनने को मिलते है |
पुराने जमाने में तो एक बहु के जेवर से माँ बाप अपने दुसरे लडके का विवाह भी कर लाया करते थे | पर अब किसी को
सहन नहीं होता | लघु कथा में गिफ्ट से जुड़े भावनात्मक सम्बन्ध,महंगाई की मार और मार्मिक दर्द की झलक बताने
में सफल रही है | हार्दिक बधाई आदरणीय श्री गणेशजी
गिफ्टों से रिश्तों की वेल्यु निर्धारित होती है आजकल शादी विवाहों में ऐसे सीन हर जगह देखने को मिल जाते हैं ,दूसरे के गिफ्ट में कमी निकालने मैं पीछे नहीं रहते लोग ,उस गिफ्ट के पीछे भावना चाहे तड़प तड़प कर दम तोड़ दे ,उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता,मर्म और सन्देश देने में पूर्णतः कामयाब है लघु कथा बहुत- बहुत बधाई आदरणीय गणेश जी
आदरणीया महिमा जी, आम बातों के मध्य ही मेरी लघुकथाएँ निकला करती हैं, उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार|
आदरणीय अभिनव अरुण भाई जी, आपकी टिप्पणी सदैव उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार |
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