बच्चन पूछे केबीसी में , रट लो शायद काम आए।
अमीरों की नई सूची बनेगी, शायद तेरा नाम आए॥
प्याज के संग जो रोटी खाये, गरीब नहीं कहलाएंगे।
तैंतीस रुपये कमाने वाले, अमीर वर्ग में आयेंगे॥
भूख से तड़पे, नंगा घूमे, तब गरीब उसको मानो।
चड्डी और बंडी पहना हो, तो रईस उसको जानो।।
बत्तीस रुपय से ज्यादा न हो, कहलाएगा गरीब भिखारी।
चेकिंग में ज्यादा निकला तो, बन जायेगा अमीर भिखारी॥
तैंतीस रूपये रोज कमाओ, ऐश करो, जो चाहे खाओ।
गरीबी रेखा से उठ जाओ, अपनी अलग पहचान बनाओ।।
अमीरी की नई परिभाषा से, अन्य देशों का ज्ञान बढ़ेगा।
कम होगी संख्या गरीब की, भारत का सम्मान बढ़ेगा।।
बड़े- बड़े चिंतक हैं देश में, अर्थशास्त्री हैं बड़े - बडे़।
सोच है इनकी बचकानी, ये कुतर्क शास्त्री हैं बड़े-बडे।।
तैंतीस रूपए प्रति दिन को, सरकार सही बतलाती है।
देश के हर एक कैदी पर, सौ रूपए रोज लुटाती है।।
शिक्षा स्वास्थ्य रोटी कपड़ा, सरकार की जिम्मेदारी है।
ध्यान कैदियों का रखती है, शरीफों की लाचारी है।।
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- अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी (छत्तीसगढ़)
( मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय अखिलेश जी, हार्दिक बधाई आपको //सादर
वाह श्रीवास्तवजी क्या खूब रेखांकित किया आपने अमीरी की नई परिभाषा को वाह । आपको सादर बधाई
आदरणीय अखिलेश भार्इ जी, वाह! भार्इ जी, कटाक्ष और व्यंग में तो 100 में से 100 नम्बर। हार्दिक बधार्इ स्वीकारें। सादर,
बहुत खूब .. बधाई आपको
सादर
वाह काया खूब कहा , आ0 अखिलेश जी बहुत बधाई आपको ।
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