पीकर आया दीवाली में, बांह पकड़ बीबी से बोला।
तुम मधुमय अधरों वाली, और मैं प्यासा दरुवा भोला॥ ...... दरुवा = शराबी
बीबी बोली, शर्म करो , दीवाली में पीकर आये हो। ....... पत्नी
दिया फटाके मिठाई नहीं, खाली झोला ले आये हो॥
जिस पल तेरी याद आई, मैं दारू छोड़कर आया हूँ। ..... पति
तुम क्या जानो इस हालत में, कैसे घर तक आया हूँ¡॥
शराब जैसी बुरी चीज़ पर, आधी कमाई लुटाते हो। ..... पत्नी
सारा मोहल्ला देख रहा, क्यों अपनी हँसी उड़ाते हो ॥
पीना कोई पाप नहीं है, खुद सरकार पिलाती है। ..... पति
शराब के ठेकेदारों से वह, अरबों रुपय कमाती है॥
राजस्व बढ़ेगा पीने से, यह देश हमीं से पलता है। ...... राजस्व = सरकारी आय
स्कूल ,कॉलेज, अस्पताल, दारू के पैसों से चलता है॥
मैं तो चली अपने मायके, दीवाली वहीं मनाऊँगी। ..... पत्नी
जब छोड़ोगे तुम शराब, मैं वापस उस दिन आऊँगी ॥
इन भीगे पलकों की कसम, मैं प्यार तुम्हीं से करता हूँ। ..... पति
आज के बाद पिऊँगा नहीं, ये वादा तुम से करता हूँ॥
शराब ने घर बर्बाद किया, क्या जीवन ऐसे बितायेंगे। ..... पत्नी
पैसे नहीं कुछ पास हमारे, कैसे दीवाली मनायेंगे॥
पड़ोसी फटाके फोड़ेंगे, हम देख के ताली बजायेंगे। ..... पति
घर- घर जा के बधाई देंगे, और प्रसाद पा जायेंगे॥
मायके जाने की बात न करो, साथ दीवाली मनायेंगे।
दिया बाती और तेल नहीं, हम प्यार के दीप जलायेंगे॥
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- अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी (छत्तीसगढ़)
( मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
हास्य व्यंग्य के साथ सार्थक संदेश देती इस रचना हेतु बधाई आ0 अखिलेश जी...
आप सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामना ।
अजीत भाई हृदय से आभार हास्य व्यंग्य रचना को पसंद करने के लिए। आपका सुझाव भी उचित है।
जितेन्द्र भाई हृदय से आभार हास्य व्यंग्य रचना को पसंद करने के लिए।
अरुण भाई हृदय से आभार हास्य व्यंग्य रचना को पसंद करने के लिए।
आ. राजेश कुमारीजी हृदय से आभार हास्य व्यंग्य रचना को पसंद करने के लिए।
विजय भाई हृदय से आभार हास्य व्यंग्य रचना को पसंद करने के लिए।
रविकर भाई हृदय से आभार हास्य व्यंग्य रचना को पसंद करने के लिए।
राम् भाई हृदय से आभार हास्य व्यंग्य रचना को पसंद करने के लिए।
छोटे भाई गिरिराज हृदय से आभार हास्य व्यंग्य रचना को पसंद करने के लिए।
बहुत ही सुन्दर हास्य प्रस्तुति आदरणीय आपको बहुत बहुत बधाई …सादर
वाह मजेदार प्रस्तुति-
दीप पर्व की शुभकामनायें आदरणीय-
दिवाली की आड़ में शराब जुआ आदि बुरी आदतों के लिए हास्य का पुट देते हुआ सार्थक व्यंग्य किया है बहुत बढ़िया रचना हार्दिक बधाई आपको
सुबह का भूला शाम को घर आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते, सुन्दर व सरल संवाद के माध्यम से बढ़िया सन्देश देती रचना.
शुभ दीपावली...........
आदरणीय अखिलेश जी, हास्यप्रद व् एक सार्थक सन्देश देती हुयी रचना पर बहुत बहुत बधाई
सन्देशपरक हास्य व्यंग्य ....... बधाई ...... अन्यथा न लें , शिल्प पक्ष पर विशेष ध्यान वांछित है आदरणीय !!!
आदरणीय बड़े भाई जी , सुन्दर हास्य व्यंग रचना के लिये बहुत बहुत बधाई !!!!!!
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