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तुम्हारी मुझे जुस्तजू न होती...

 बेहतर था

कुछ कमी न होती,

आँखों में

यूँ नमी न होती...

तुम न आते गर

‘’जान ‘’यूँ

अधूरी न होती...

बंद ही रहता

अँधेरा कमरा,

रौशनी की

फिर गुंजाइश न होती...

न देखते सपने

न पंखों की

उडान होती...

फूंका न होता

दिल अपना,

तुम्हारी हाथ सेकने की

जो फरमाइश न होती...

तुम्हारा ख्याल ही जो

झटक दिया होता,

मेरे प्यार की

फिर पैमाइश न होती...

प्यार न होता

ये हाल न होता,

यूँ मेरे खिलाफ़

फिर दुनिया न होती...

बेहतर होता

यूँ कमी न होती,

तुम्हारी मुझे

जुस्तजू न होती...

 

(मौलिक एव अप्रकाशित)

- प्रियंका

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Comment

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Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 7:43pm

जितेन्द्र 'गीत' सर .... बहुत बहुत धन्यवाद ....सराहते रहे यूँही ...

Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 7:41pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय गिरिराज भंडारी सर

Comment by Priyanka singh on October 27, 2013 at 7:41pm

सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार, आदरणीय केवल प्रसाद सर 

Comment by ram shiromani pathak on October 27, 2013 at 11:19am

सुन्दर रचना आदरणीया प्रियंका जी //हार्दिक बधाई आपको 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 26, 2013 at 10:59pm

बहुत ही खूबसूरत भावों से लबरेज रचना के लिये दिल से बधाई स्वीकारें प्रियंका जी !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 26, 2013 at 10:42am

प्रियंका जी इस खूबसूरत भावों से सजी रचना के लिये दिली दाद कुबूल करें

Comment by vijay nikore on October 26, 2013 at 8:03am

 

//फूंका न होता

दिल अपना,

तुम्हारी हाथ सेकने की

जो फरमाइश न होती...// .........  वाह, वाह...!

 

एक के बाद एक ... किस-किस भाव की सुन्दरता की ओर संकेत करूँ !

सारी कविता ऐसे ही कोमल भावों से भरपूर है।

हार्दिक बधाई, आदरणीया प्रियंका जी।

Comment by Sushil.Joshi on October 26, 2013 at 7:45am

वाह.....सुंदर शब्द संयोजन से सुसज्जित रचना....... बधाई आ0 प्रियंका जी इस प्रस्तुति के लिए....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 26, 2013 at 12:27am

बेहद सुंदर शब्दों से पिरोई रचना पर, बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रियंका जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 8:48pm

आदरणीया प्रियंका जी , सुन्दर प्रस्तुति के लिये बधाई !!!!

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