Comment
आज की स्वाथ्परक परिस्थितियों में हर एहसास के मोल का दर्द बाखूबी व्यक्त हुआ है...
सार्थक प्रस्तुति पर हार्दिक बढ़ायी
आजकी परिस्थितियों को साझा करने के लिए धन्यवाद. भावुकता को अच्छे शब्द मिले हैं. अभिव्यक्ति और शब्द व्यवहार पर भी ध्यान दिया करें.
शुभेच्छाएँ.
सुंदर रचना ...हर चीज का वाकई दाम लग गया है ..सादर बधाई के साथ
तुम अपना दाम कहो
छुप के नहीं खुले आम कहो....बढ़िया बाजार है साहब ..एक अच्छी रचना पढ़ने को मिली !...बधाई :)
बहुत सही और यथार्थ कहा है आपने
मन को भा गयी है ये रचना
बहुत बहुत बधाई
प्यार ,दोस्ती , व्यवहार , यहाँ तक कि संस्कार में भी बाज़ारवाद हावी हो गया है , सुंदर रचना, हार्दिक बधाई अमोद भाई ॥
वाह आदरणीय आमोदजी खूबसूरत रवां प्रस्तुति भाव पक्ष भी मजबूत है दिली मुबारक बाद स्वीकार करें
सच! आज के समय में, यहाँ मतलबी इंसानों ने भाव तय कर रखे हैं , ईमान, भावनायें, रिश्ते-नाते, सब बिकाऊ है, जो चाहो खरीद लो..
रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय आमोद जी
बहुत बहुत आभार आ0 बृजेश जी, आ0 अभिनव अरुण जी, आ0 अरुण शर्मा जी, आ0 मीना पाठक जी, आ0 अखंड जी, आ0 गोपाल नारायण जी, आ0 सुशील जी.... उत्साहवर्धन के लिए....
अच्छी रचना! आपको हार्दिक बधाई!
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