ये जो पुराना दरख्त है
इससे बहुत पुराना संबंध है
पंक्षी भी अब रात गुजारने नहीं आते
आते हैं कुछ देर ठहर के चले जाते
इसे अब पानी भी अब कोई नहीं देता
अब तो इसकी कोई छांव भी नहीं लेता
बड़ी रौनक थी आँगन मे इसकी
बड़ी चमक थी चेहरे पे इसकी
बूढ़ा दरख्त इसे याद करके काँप गया ...
इक थरथर्राहट सी करी ....
और शांत हो गया
ये जो पुराना दरख्त है ...
इससे बहुत पुराना संबंध हैं .... ।
"मौलिक व अप्रकाशित"दी
Comment
आँगन में खड़ा पुराना दरख्त कितनी यादों को जीता है....
इस हर दिल के करीब बसे भाव को प्रस्तुत करने के लिए बधाई आ० आमोद जी
गहन दृष्टि से रचना को पढ़ने और मेरे कहे के निहितार्थ को अनुमोदन करने के लिए सादर धन्यवाद, आदरणीय सुशीलजी.
सुंदर प्रस्तुति है आ0 आमोद जी..... लेकिन रचना के भावों के साथ उसका प्रस्तुतिकरण भी महत्वपूर्ण है..... आपने आ0 सौरभ जी के कहे अनुसार उस शब्द को तो ठीक कर दिया किंतु उसमें अभी भी टंकण त्रुटि है..... तृतीय पंक्ति में 'पंक्षी' शब्द में अनुस्वार कहाँ से आ गया....... कृपया रचना पोस्ट करने से पहले इन सामने दिखने वाली त्रुटियों पर नज़र डालें तो अति उत्तम है.... बधाई इस कृति के लिए...
जो हालत दरख्त की वही हालत आज्कल बुजुर्ग की। बधाई अमोद भाई।
ये जो पुराना दरख्त है //// ये जो बूढ़ा दरख्त है
आदरणीय आमोद जी प्रयास अच्छा है किन्तु रचना आपसे समय की मांग करती दीख रही है. प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें
आदरणीया मीना पाठक जी आपने उत्साहवर्धन करा आपका आभार ...
आदरणीय सौरभ पांडे जी आपका धन्यवाद ... ये पुराना दरख़्त शब्द है क्षमा चाहता हूँ...
आदरणीय आमोद भाई , बुजुर्गियत को इंगित आपकी रचना के लिये बधाई !!!!
भावनाओं से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.... |
सुन्दर रचना पर बधाई के साथ
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