जो बातें होठों तक न आ पाएँ
उसे कागजों पर
उकेरा करो ....
दिल में न रखा करो
ओंठ न सिया करो
कुछ बातें लिखनी मुश्किल हो
तो आँखों से कह दिया करो
जब तन्हा हुआ करो
तो आवाज़ दिया करो
जो हसरत तेरी चाहत मे हो
मेरे दामन से ले लिया करो
गुफ्तगू
जम कर किया करो ....
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ0 आशुतोष जी, आ0 अरुण शर्मा जी, आ0 सौरभ जी आप सभी का बहुत बहुत आभार .... उत्साहवर्धन के लिए...
बहुत अच्छे. कुछ और बताइये.. .
बहुत सुन्दर आदरणीय अच्छा ख्याल है बधाई स्वीकारें
आदरणीय आमोद जी ..बेहतरीन ..बिलकुल सही कहा है आपने ..सादर बधाई के साथ
आ0 शिज्जु शकूर जी, आ0 गोपाल नारायण जी, आ0 मीना जी, आ0 गिरिराज जी आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद उत्साहवर्धन के लिए ... आभार...
बधाई तो मिलेगी ही,
गुफ्तगू करने को जी चाहता है मगर लब खामोश रहते है ,
ये असर है तेरी नजरो का जो हम मदहोश रहते है ! साधुवाद
आदरणीय आमोड भाई , बहुत बढ़िया बात कही है भाई , बधाई !!!!!
हार्दिक बधाई गुप्तगू के लिए | सादर
आमोद जी
अभी आपकी उम्र है खूब गुफ्तगू कर ले i सच ही गुफ्तगू करने के अंदाज बहुत है i
अभिव्यक्ति सुन्दर है i
आदरणीय आमोद जी बेहतरीन रचना के लिये बधाई स्वाकार करें
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