For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पूछे  कौन गरीब  को, धनिकों  की जयकार .

धन के माथे  पर मुकुट, और गले  में हार ..

और  गले  में  हार , लुटाती  दुनिया मोती .

आवभगत हर बार, अगर धन हो तब होती .

'ठकुरेला'  कविराय , बिना  धन  नाते छूछे  .

धन की ही मनुहार,बिना धन जग कब पूछे .

जनता उसकी ही हुई , जिसके  सिर पर ताज.

या फिर उसकी हो सकी ,जो  हल करता काज ..

जो हल करता काज,समय असमय सुधि लेता.

सुनता  मन  की बात , जरूरत पर कुछ देता  .

'ठकुरेला'  कविराय ,वही  मनमोहन  बनता .

जिसने  बांटा प्यार , हुई  उसकी  ही जनता .

  • त्रिलोक  सिंह  ठकुरेला 

       (मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 819

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on November 19, 2013 at 7:06pm
इस सुन्दर प्रस्तुति पर ढेरों हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2013 at 6:18pm

अदरणीय त्रिलोक सिंह ठकुरेला साहब, आपका इस मंच पर हार्दिक स्वागत है. आपकी उपस्थिति से पाठकगण और रचनाकार सभी लाभान्वित होंगे.

प्रस्तुत दोनों छंद कथ्य और शिल्प दोनों की दृष्टि से उन्नत और समर्थ हैं.

हृदय से धन्यवाद और शुभकामनाएँ
सादर

Comment by vijay nikore on November 19, 2013 at 10:39am

आपकी कुण्ड्लिया अच्छी लगी। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 11:05pm

आज के समय के सत्य को उजागर करते ..

कथ्य शिल्प पर अनुशासित बहुत सुन्दर कुण्डलिया छंद 

हार्दिक बधाई आदरणीय 

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 18, 2013 at 7:01pm
वाह आदरणीय वाह बडे मनमोहन कुण्डलीय रचे आप ने बधाई
Comment by विजय मिश्र on November 18, 2013 at 4:49pm
कटाक्ष ,व्यंग ,उपहास सबकुछ ढंग से कुंडली मार कर बैठी है रचना में , बधाई हो .
Comment by राजेश 'मृदु' on November 18, 2013 at 3:50pm

आपको इस मंच पर देखकर बहुत ही अच्‍छा लगा  । आपकी कुंडलियों पर पर टिप्‍पणी करने की सामर्थ्‍य नहीं, बस वाह-वाह कर सकता हूं, सादर

Comment by Sarita Bhatia on November 17, 2013 at 11:15pm

गुरुदेव स्वागत है आपका इस मंच पर 

हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2013 at 8:20pm

आदरनीय त्रिलोक भाई , वर्तमान स्थिति पर लाजवाब कुंडलिया रचना की है आपने !!!! आपको हार्दिक बधाई !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 2:02pm

आदरणीय ठुकरेला जी दोनों ही कुण्डलिया छंद में आपने यथार्थ का सुन्दर चित्रण किया है, दोनों ही कुण्डलिया छंद बेहतरीन हैं मेरी ओर से बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   उसे ही कुंभ आना है, पुन्य जिसको पाना है,…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   उसे ही कुंभ आना है, पुन्य जिसको पाना है, पहुँचे लाखों…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service