गाँव पँहुचने पर मैय्या जब पूछेगी मेरा हाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
मेरी चिरैया कितना उड़ती
पूछे जब उन आँखों से
पलक ना झपके उत्तर ढूंढें
तब तू जाना टाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
पूछेगी फिर बेला चमेली
कितनी चढ़ी ऊँचाई पर
इस घर में नही कोई सीढ़ी
छोटी है दीवाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
जब वो हंसती कितनी झरती
मुक्तक मणियाँ मुखड़े से
समझाना यहाँ मेरी झोली
अब है मालामाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
पूछेगी उसकी अँखियों का
कजरा अब कितना खिलता
खोल के तू अपने हाथों से
देना ये रुमाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
सुनके मेरी बातें अगर जो
मैय्या का उर भर आये
तुझको कसम है इस बहना की
लेना तू संभाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
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मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया सचमुच भावुक कर देने वाली रचना ..बेटियां ही वाकई में हर हाल में अपना फर्ज निभाती हैं ,,सुंदर शब्द सुसज्जित भाव ..सीधे दिल में उतरने वाले इस बेहतरीन रचना हेतु तहे दिल बधाई स्वीकार करें
नायिका के अंतर का दर्द छलक कर बाहर आ गया है ............... यही तो विडंबना है .. ज्यादा कुछ नही कहूँगी बस्स पल्लू से नम आँखे पोंछ रहीं हूँ .. अंतर्मन को छूती हुई रचना हेतु बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीया !!
बाहर से हँसता हुआ और अंदर से रोता हुआ, मार्मिक गीत!
एक अबोला पक्ष जो नहीं बोलना चाहती है कोई भी लड़की अपनी तथाकथित परंपरा का निर्वाह करते हुये! इस कसक को आपने गीत रूप देकर कई लड़कियों की मूक वेदना जाहिर की है! बधाई आदरणीया!
बचपन में एक गीत सुना था ! एक सैनिक दम तोड़ते हुए अपने साथी से कहता है - "साथी जाकर घर मत कहना" ! गला रुंध जाता था उसे गुनगुनाते हुए ! आँखें नम हो जाती थीं सुनते हुए ! अगर मैं आज भी बच्चा होता तो ये गीत पढकर उसी स्थिति में होता ! अत्यंत मार्मिक भाव पक्ष !
भारतीय संस्कृति की यह अनुपम देन है कि बहुत से परिवारों में आज भी बेटियाँ अपने पीहर में ससुराल में खुश रहने
की बात बताते हुए अपने दुखड़े नहीं रोती और अपने माँ बाप को दुखी नहीं करना चाहती | यहाँ तक कि अगर पता भी
लग जावे तो कहती है - मै ससुराल खडी गयी हूँ, आड़ी (मरने पर लेटी हुई) ही जाउंगी |
बहुत सुन्दर और यथार्थ रचना के लिए हार्दिक बधाई आद राजेश कुमारी जी
वाह वाह आदरणीया राजेश कुमारी जी
बहुत सुन्दर ................सादर बधाई स्वीकारिये
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