ज्ञान का चहुँ ओर यों प्रकाश होना चाहिए
मन में पसरे घोर तम का नाश होना चाहिए
बढ़ रही तकनीक क्रांति ला रहे उद्योग अब
तब तो मेरे गाँव का विकाश होना चाहिए
देखता है स्वप्न सोते जागते दिन रात मन
बाँधने मनगति को तप का पाश होना चाहिए
जीतने का हर समय प्रयास करना है उचित
हार कर हमको नहीं निराश होना चाहिए
घर के भीतर “दीप” जलना सिद्ध होता है सही
आपका भगवान् से निकाश होना चाहिए
निकाश - समीपता
संदीप पटेल “दीप”
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय संदीप भाई जी,
अत्यंत हृदयस्र्पशी व सार्थक सन्देश देती रचना के लिए हृदय से शुभकामनाएं देता हूं।
बढ़ रही तकनीक क्रांति ला रहे उद्योग अब
तब तो मेरे गाँव का विकाश होना चाहिए
इन पंक्तियों द्वारा विकास के नाम पर हो रहे पक्षपात से कवि हृदय द्रवित है।
जीतने का हर समय प्रयास करना है उचित
हार कर हमको नहीं निराश होना चाहिए
बेशक विजयी होने का प्रयास निरंतर जारी रहना चाहिए किन्तु विजय के महत्त्व को शायद वही अच्छी तरह समझ सकता है जिसने हार का स्वाद चखा हो। सो हार-जीत को दरकिनार करते हुए अपना कर्म निरन्तर करते रहना ही मानव धर्म है .... यही संदेश देती उपरोक्त पंक्तिया कहीं न कहीं श्री भागवत् गीता का स्मरण भी करवाती हैं।
आपकी और प्रस्तुतियों का इंतजार रहेगा।
जीतने का हर समय प्रयास करना है उचित
हार कर हमको नहीं निराश होना चाहिए..आदरणीय बहुत बेहतरीन सन्देश समाहित है इन पंक्तियों में ..ढेरों बधाई स्वीकार करें ..सादर
घर के भीतर “दीप” जलना सिद्ध होता है सही
आपका भगवान् से निकाश होना चाहिए..................... इस पंक्ति मे 'निकाश ' का भाव समझ नहीं आया , आ0 संदीप जी ।
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