ख़्वाबों की हसीन शाम दें ………
क्यूँ
बेवज़ह की
तकरार करती हो
इकरार भी करती हो
इंकार भी करती हो
खुद ही रूठ कर
छुप जाती हो
अपने ही आँचल में
झुकी नज़रों से
फिर किसी के
मनाने का
इंतज़ार भी करती हो
तुम जानती हो
तुम मेरी धड़कन हो
तुम मेरी साँसों की वजह हो
हम इक दूसरे की
पलकों के ख्वाब हैं
कोई अपने ख्वाबों से
रूठता है भला
तुम्हारा ये अभिनय बेमानी है
वरना इस ठिठुरती रात के
जलते अलाव में
हौले से तुम्हारे लबों से निकला
माई लव का सम्बोधन
पिघल गया होता
सर्द सवेरे में
खिड़की के शीशे पर
जमी ओस की बूंदों पर
तुम्हारी अंगुली की पोर से बना
धड़कते दिल का चित्र
सूर्य रश्मियों की भेंट चढ़ गया होता
चलो
अपनी निगाहों के इंतज़ार को आराम दें
अपनी मुहब्बत को
आगोश का अंज़ाम दें
आओ इस शब् को
एक महकती पहचान दें
ख़्वाबों की हसीन शाम दें
ख़्वाबों की हसीन शाम दें ………
सुशील सरना
"मौलिक एवं अप्रकाशित "
Comment
कोमल भावाभिव्यक्ति ने एक मनोरम वातावरण बनाया है, आदरणीय सुशीलजी.
सान्द्र आत्मीयता में पगे इन भावों के लिए हृदय से धन्यवाद..
हार्दिक शुभकामनाएँ.
Baidya Nath jee rachna par aapee aatmeey prashansa ka tahe dil se shukriya
अति सुन्दर भाव ..
खुद ही रूठ कर
छुप जाती हो
अपने ही आँचल में
झुकी नज़रों से
फिर किसी के
मनाने का
इंतज़ार भी करती हो .....बधाई हो आदरणीय ..बहुत सुन्दर रचना के लिए
aa.Vijay Nikore jee rachna par aapkee snehil pratikriya ka haardik aabhaar
सुंदर भावाभि्व्यक्ति। बधाई।
सादर,
विजय निकोर
aa.Dr.Prachi Singh jee rachna par aapkee snehabhivyakti ka haardik aabhaar
कोमल भावनाएं ! सुन्दर अभिव्यति !
हार्दिक शुभकामनाएं इस प्रस्तुति पर आ० सुशील सरना जी
aa.Meena Pathak jee, Arun Sharma 'Anant' jee, Shijju Shakoor saahib aap sabhee ka rachna ko apna sneh dene ka haardik aabhaar .....aapka sneh hee kalam kee takat hai...dhnayvaad
उम्दा प्रस्तुति आदरणीय !! ढेरों बधाई क़ुबूल करें
प्रेम रस में डूबी बहुत ही सुंदर रचना इन पंक्तियों हेतु विशेषतौर से बधाई प्रेषित है स्वीकार करें.
सर्द सवेरे में
खिड़की के शीशे पर
जमी ओस की बूंदों पर
तुम्हारी अंगुली की पोर से बना
धड़कते दिल का चित्र
सूर्य रश्मियों की भेंट चढ़ गया होता .. लाजवाब
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