For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्राण जिसमें है मरेगा ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122  2122 ( बिना रदीफ )

जो भरा है वो बहेगा   

रिक्तता है तो भरेगा

 

डर हमे काहे सताये

प्राण जिसमें है मरेगा

 

कानों सुनके आँखों देखे

चुप भला कैसे रहेगा

 

लेखनी पे हो नज़र तो

वो नज़र से ही कहेगा

 

गर्त पूछे आदमी से

और कितना तू गिरेगा

 

जो ज़हर सा बोलता है

बस वही पीड़ा हरेगा

 

खूब मीठा बोल मत तू

देखना कीड़ा पड़ेगा

ज़ोर मिल कर सब लगायें

देखिये  पर्वत हिलेगा

नेक - बद दोनों खड़े  है

सोचते हैं  क्या मिलेगा ?

  *****************

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

Views: 832

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 26, 2013 at 9:38am

जो भरा है वो बहेगा   

रिक्तता है तो भरेगा

 

डर हमे काहे सताये

प्राण जिसमें है मरेगा

ज़ोर मिल कर जब लगाये

तब लगा पर्वत हिलेगा

 तीनो शेर लाजबाब हैं 

खूब मीठा बोल मत तू

देखना कीड़ा पड़ेगा.....व्यंग को पढ़कर एक बार को हँसी आ गई सच में बहुत मीठा व्यंग्य है ,पूरी गैरमुरद्दफ़ ग़ज़ल शानदार हुई है तहे दिल से बधाई आदरणीय गिरिराज जी 

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 26, 2013 at 8:17am

गर्त पूछे आदमी से

और कितना तू गिरेगा.......वाह! बहुत खूब

 

जो ज़हर सा बोलता है

बस वही पीड़ा हरेगा.........कटु सत्य

 

खूब मीठा बोल मत तू

देखना कीड़ा पड़ेगा...........यह तो खास बात कही

एक-एक शेर आज की कटु सच्चाई को चित्रित  करता हुआ, दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय गिरिराज जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 25, 2013 at 10:32pm

मित्र

इतनी छोटी  बह्र पर ग़ज़ल वह भी इतनी अच्छी

सचमुच मजा आया 

 जो जहर सा बोलता  है , बस वही पीड़ा हरेगा

क्या  बात है  i  बहुत बहुत  बधाई i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 25, 2013 at 9:55pm

आदरणीय राम अवध भाई , ग़ैरमुरद्दफ़ गज़ल के पहले प्रयास मे हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 25, 2013 at 9:52pm

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से आभार !!!!!! और , ग़ैरमुरद्दफ़   नाम लिख कर याद दिलाने के लिये भी , मै नाम भूल ही गया था , इसी लिये बिना रदीफ लिख दिया था !!!! आपका पुनः आभार !!!

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on November 25, 2013 at 9:04pm

फाइलातुन फाइलातुन

इतनी छोटी बहर में गजल का निर्वाह वाकर्इ काबिले तारीफ है भण्डारी सर बधार्इ हो उत्तम गजल कहने के लिय।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 25, 2013 at 8:56pm

आदरणीय गिरिराज सर अच्छी ग़ैरमुरद्दफ़ ग़ज़ल है दाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service