For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

बहर-ऽ।ऽऽ ऽ।ऽऽ ऽ।ऽ
.
ज़िंदगी कैसी बग़ावत हो गई।
मौसमों से भी अदावत हो गई॥
.
ले चली है हाँकती जाने किधर,
वासना सबकी महावत हो गई।
.
संयमी का पेट आधा ही भरा,
भोगियों की रोज़ दावत हो गई।
.
चापलूसी है चलन में इन दिनों,
वीरता केवल कहावत हो गई।
.
रुक गई थी काँप के दो पल 'रवी',
साँस मेरी फिर यथावत हो गई॥
.
-मौलिक व अप्रकाशित॥

Views: 710

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on December 3, 2013 at 1:54pm
आपका आशीर्वाद मिलना सचमुच गर्व की बात है। प्रयासों को बल और लेखनी को संबल मिला है।सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद। आशीर्वाद बनाए रखें आदरणीय॥
Comment by वीनस केसरी on December 3, 2013 at 2:54am

गज़ब गज़ब ..

जिंदाबाद
बेहद कामयाब ग़ज़ल हुई है ... ठेरो दाद

Comment by Ravi Prakash on December 2, 2013 at 11:43am
आपसे नहीं छूटा आदरणीय, मेरा ही रचना क्रम बाधित हो गया था। बहरहाल हार्दिक धन्यवाद॥
Comment by विजय मिश्र on December 2, 2013 at 10:31am
रविजी ! बहुत दिन बाद दर्शन हुए , मुझसे छुटा या आप हीनहीं आये ,पता नहीं | सुंदर रचना , बधाई |
Comment by Ravi Prakash on November 30, 2013 at 2:11pm
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय जितेन्द्र जी एवं राजेश जी। आशीर्वाद बनाए रखें॥
Comment by राजेश 'मृदु' on November 30, 2013 at 2:03pm

सुंदर प्रस्‍तुति हेतु हार्दिक बधाई, सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 30, 2013 at 9:28am

संयमी का पेट आधा ही भरा,
भोगियों की रोज़ दावत हो गई।........वाह! क्या बात कही है,

चापलूसी है चलन में इन दिनों,
वीरता केवल कहावत हो गई।............यह तो शत-प्रतिशत सच है

आज के समय में पूर्ण रूप से फिट है, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय रवि जी

Comment by Ravi Prakash on November 30, 2013 at 7:03am
इतने सूक्ष्म विवेचन, विश्लेषण तथा मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय अजय जी। आशीर्वाद बनाए रखें॥
Comment by ajay sharma on November 29, 2013 at 11:28pm

ले चली है हाँकती जाने किधर,
वासना सबकी महावत हो गई।   bahut khoob 
.
संयमी का पेट आधा ही भरा,
भोगियों की रोज़ दावत हो गई।   100% kalyugi sach 
.
चापलूसी है चलन में इन दिनों,
वीरता केवल कहावत हो गई।      200% tathyaprna  
.
रुक गई थी काँप के दो पल 'रवी',
साँस मेरी फिर यथावत हो गई॥    bahut khoob kintu ,kuch aur .......

daud me ruk hi gayi  thi , waqt ke ,

saans meri fir yathawat ho gayi

  
.

Comment by Ravi Prakash on November 29, 2013 at 8:49pm
धन्यवाद आदरणीय। यूँ ही आशीर्वाद बनाए रखें॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
7 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
12 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service