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गज़ब गज़ब ..
जिंदाबाद
बेहद कामयाब ग़ज़ल हुई है ... ठेरो दाद
सुंदर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई, सादर
संयमी का पेट आधा ही भरा,
भोगियों की रोज़ दावत हो गई।........वाह! क्या बात कही है,
चापलूसी है चलन में इन दिनों,
वीरता केवल कहावत हो गई।............यह तो शत-प्रतिशत सच है
आज के समय में पूर्ण रूप से फिट है, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय रवि जी
ले चली है हाँकती जाने किधर,
वासना सबकी महावत हो गई। bahut khoob
.
संयमी का पेट आधा ही भरा,
भोगियों की रोज़ दावत हो गई। 100% kalyugi sach
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चापलूसी है चलन में इन दिनों,
वीरता केवल कहावत हो गई। 200% tathyaprna
.
रुक गई थी काँप के दो पल 'रवी',
साँस मेरी फिर यथावत हो गई॥ bahut khoob kintu ,kuch aur .......
daud me ruk hi gayi thi , waqt ke ,
saans meri fir yathawat ho gayi
.
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