ज़िन्दगी तू मौत से पीछा छुड़ा न पाएगी।
उम्र बढ़ती जाएगी , करीब आती जाएगी।।
ज़िन्दगी सफर है और, मुक्ति है मंजि़ल तेरी।
मुक्ति जब करीब हो, तो मौत मुस्कराएगी।।
मौत एक माँ की तरह, फर्ज़ भी निभाएगी।
प्यार भरी थपकियों से, गोद में सुलाएगी।।
जब मधुर आवाज़ में, वो लोरी गुनगुनाएगी।
नींद गहरी और गहरी, और होती जाएगी।।
माँ को सबका ध्यान है, सभी पे मेहरबान है।
मुक्ति सारी झंझटों से, मौत ही दिलाएगी।।
भेद भाव करती नहीं, सब को चाहती है माँ।
जब समय आ जाएगा, बिना बुलाए आएगी।।
हर जनम में माँ , तू एक बार मिलती है।
स्वागत् है इस जनम में, तू कभी तो आएगी।।
********************************
- अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव, धमतरी (छत्तीसगढ़)
( मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय भाई गोपाल नारायणजी, आप जैसे गुणीजनों से उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पाकर मैं धन्य हुआ । हौसला बढ़ाने के लिए मेरा हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें गोपाल भाई।
लक्ष्मण भाई, हार्दिक धन्यवाद इस रचना को दिल से पसंद करने के लिए॥
विजय भाई , क्या कहूँ ? मेरी रचना /// किसी संत के दर्शन से कम नहीं /// कह कर आपने कुछ ज़्यादा ही तारीफ कर दी ॥ रचना को हृदय से पसंद करने, उसे आत्मसात करने और मेरा हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद ॥
मृत्यु को समर्पित सुंदर कृति!
हार्दिक बधाई आ० अखिलेश जी!
हार्दिक धन्यवाद राम भाई इस रचना को दिल से पसंद करने के लिए॥
आदरणीया कुंतीजी आपका हार्दिक धन्यवाद मेरी इस रचना को मान देने और हृदय से स्वीकार करने के लिए॥इस कृति को बार-बार पढ़ने लायक बताकर आपने मेरा भी हौसला बढ़ाया, .. आभार।
इस रचना को दिल से पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद छोटे भाई कपीश एवं गिरिराज ।
अखिलेश जी
मौत में तसव्वुरे माँ i अद्भुत ख्याल है i
आपका निर्वहन भी कमाल का है i
मेरी बधाइयाँ i
अवश्यम्भावी मृत्यु की सत्यता के विषय में बहुत ही सही बात कही है आपने |" माँ जैसी प्यारी है मौत"
हार्दिक बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online