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श्वेत वसना दुग्ध सी, मन मुग्ध करती चंद्रिका।

तन सितारों से सजाकर, भू पे उतरी चंद्रिका।

 

चाँद ने जब बुर्ज से, झाँका भुवन की झील में,

झिलमिलाती साथ आई, सर्द सजनी चंद्रिका।

 

पात झूमें, पुष्प हरषे, रात ने अंगड़ाई ली,

पाश में ले हर कली को, चूम चहकी चंद्रिका।

 

घन घनेरे, आसमाँ से, छोड़ डेरा छिप गए,

जब धरा पर शीत बदली, बन के बरसी चंद्रिका।

 

पर्वतों से, वादियों से, पाख भर मिलती रही,

सागरों की हर लहर से, खूब खेली चंद्रिका।

 

प्राणियों में प्रेम बोया, हर किरण से सींचकर,

प्रेमियों सँग गुनगुनाई, रात रानी चंद्रिका।

 

हर कलम की बन ग़ज़ल, शब भर सफर करती रही,

शबनमी प्रातः में चल दी, भाव भीगी चंद्रिका।

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना रामानी

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Comment by राजेश 'मृदु' on December 5, 2013 at 5:57pm

घन घनेरे, आसमाँ से, छोड़ डेरा छिप गए,

जब धरा पर शीत बदली, बन के बरसी चंद्रिका।

लाजवाब प्रस्‍तुति कल्‍पना दीदी, परंतु बोल्‍ड पंक्ति पर आकर अटक गया, अर्थ नहीं समझ पा रहा हूं, थोड़ा कष्‍ट करें, सादर

Comment by आशीष यादव on December 5, 2013 at 5:08pm
बेहतरीन रचना।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 5, 2013 at 9:43am

पर्वतों से, वादियों से, पाख भर मिलती रही,

सागरों की हर लहर से, खूब खेली चंद्रिका।

 

प्राणियों में प्रेम बोया, हर किरण से सींचकर,

प्रेमियों सँग गुनगुनाई, रात रानी चंद्रिका।

 वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह आदरणीया कल्पना जी प्रकृति का कितना जीवंत रूप प्रस्तुत किया इस गीत में मजा आ गया पढ़कर बहुत- बहुत बधाई आपको 

Comment by कल्पना रामानी on December 4, 2013 at 8:30pm

हार्दिक धन्यवाद आपका अरुण 'अनंत' जी, सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 4, 2013 at 1:31pm

वाह वाह आदरणीया मुग्ध कर दिया आपने बहुत ही सुन्दर बहुत ही सुन्दर हृदयतल से भूरि भूरि बधाई स्वीकारें

Comment by कल्पना रामानी on December 4, 2013 at 11:11am

आदरणीय शिज्जु जी, हार्दिक धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2013 at 11:28pm

हमेशा की तरह लाजवाब बधाई स्वीकार करें

Comment by कल्पना रामानी on December 3, 2013 at 5:59pm

आदरणीय नीरज जी हार्दिक धन्यवाद आपका

Comment by कल्पना रामानी on December 3, 2013 at 5:58pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on December 3, 2013 at 5:57pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, हार्दिक धन्यवाद

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