For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्वेत वसना दुग्ध सी, मन मुग्ध करती चंद्रिका।

तन सितारों से सजाकर, भू पे उतरी चंद्रिका।

 

चाँद ने जब बुर्ज से, झाँका भुवन की झील में,

झिलमिलाती साथ आई, सर्द सजनी चंद्रिका।

 

पात झूमें, पुष्प हरषे, रात ने अंगड़ाई ली,

पाश में ले हर कली को, चूम चहकी चंद्रिका।

 

घन घनेरे, आसमाँ से, छोड़ डेरा छिप गए,

जब धरा पर शीत बदली, बन के बरसी चंद्रिका।

 

पर्वतों से, वादियों से, पाख भर मिलती रही,

सागरों की हर लहर से, खूब खेली चंद्रिका।

 

प्राणियों में प्रेम बोया, हर किरण से सींचकर,

प्रेमियों सँग गुनगुनाई, रात रानी चंद्रिका।

 

हर कलम की बन ग़ज़ल, शब भर सफर करती रही,

शबनमी प्रातः में चल दी, भाव भीगी चंद्रिका।

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना रामानी

Views: 904

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on December 5, 2013 at 5:57pm

घन घनेरे, आसमाँ से, छोड़ डेरा छिप गए,

जब धरा पर शीत बदली, बन के बरसी चंद्रिका।

लाजवाब प्रस्‍तुति कल्‍पना दीदी, परंतु बोल्‍ड पंक्ति पर आकर अटक गया, अर्थ नहीं समझ पा रहा हूं, थोड़ा कष्‍ट करें, सादर

Comment by आशीष यादव on December 5, 2013 at 5:08pm
बेहतरीन रचना।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 5, 2013 at 9:43am

पर्वतों से, वादियों से, पाख भर मिलती रही,

सागरों की हर लहर से, खूब खेली चंद्रिका।

 

प्राणियों में प्रेम बोया, हर किरण से सींचकर,

प्रेमियों सँग गुनगुनाई, रात रानी चंद्रिका।

 वाह्ह्ह्ह वाह्ह्ह आदरणीया कल्पना जी प्रकृति का कितना जीवंत रूप प्रस्तुत किया इस गीत में मजा आ गया पढ़कर बहुत- बहुत बधाई आपको 

Comment by कल्पना रामानी on December 4, 2013 at 8:30pm

हार्दिक धन्यवाद आपका अरुण 'अनंत' जी, सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 4, 2013 at 1:31pm

वाह वाह आदरणीया मुग्ध कर दिया आपने बहुत ही सुन्दर बहुत ही सुन्दर हृदयतल से भूरि भूरि बधाई स्वीकारें

Comment by कल्पना रामानी on December 4, 2013 at 11:11am

आदरणीय शिज्जु जी, हार्दिक धन्यवाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2013 at 11:28pm

हमेशा की तरह लाजवाब बधाई स्वीकार करें

Comment by कल्पना रामानी on December 3, 2013 at 5:59pm

आदरणीय नीरज जी हार्दिक धन्यवाद आपका

Comment by कल्पना रामानी on December 3, 2013 at 5:58pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी हार्दिक धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on December 3, 2013 at 5:57pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, हार्दिक धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service