For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबने तो वाह वाह की

कैसे सुनाएँ दास्ताँ तरसी निगाह की ।

दौरे ग़मों में किस तरह हमने पनाह की ।

 

दर्दे सितम प्यार में मिलते रहे हमे ,

चुपचाप सह गए कभी हमने न आह की ।

 

बीती फकत जो ज़िन्दगी हमने किया नही ,

हमें सजा भी मिल गयी ऐसे गुनाह की ।

 

एक एक करके हसरतें दम तोड़ती गयीं ,

हमको मिला वही कभी जिसकी न चाह की ।

 

तूफाँ कभी न आया शायद मेरी डगर ,

उसकी डगर में ज़िन्दगी हमने तबाह की ।

 

हाले बयान  ये जो महफ़िल में कर दिया ,

ताली बजा के सबने तो वाह वाह की ।

 

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज 'प्रेम'

Views: 706

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on December 16, 2013 at 4:46pm

अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आ नीरज जी...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 14, 2013 at 2:47am

भाई नीरजजी, आपने तो एकदम से बीस कदम आगे की छलाँग लगा डाली.. !

दिल से बधाई.

सुधीजनों और शुभचिंतकों की बातों और सुझाव का ध्यान रखियेगा.

सादर

Comment by Neeraj Nishchal on December 7, 2013 at 11:42pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी और आदरणीय वीनस भाई आप दोनों
का तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ मैंने रचना में सुधार लाने की कोशिश की है
सादर

Comment by Neeraj Nishchal on December 7, 2013 at 11:06pm

आदरणीय निलेश भाई आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neeraj Nishchal on December 7, 2013 at 11:00pm

आदरणीया कुंती जी बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Neeraj Nishchal on December 7, 2013 at 10:57pm

आदरणीय भण्डारी आपका बहुत बहुत आभार
मैंने कुछ प्रयास किया है सही करने का ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 10:49pm

नीरज जी

हमने भी वाह वाह  की i

बहुत ख़ूबसूरत कही i  बधाई हो i

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2013 at 5:52pm

नीरज भाई जी धीरे धीरे बात बन रही है बस थोडा सा प्रयास और फिर क्या कहने यह प्रयास बहुत ही सुन्दर है भाई इस पर बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 7, 2013 at 12:32pm

एक एक करके हसरतें दम तोड़ती गयीं ,

हमको मिला वही कभी जिसकी न चाह की

आप के भाव को सलाम

Comment by वेदिका on December 7, 2013 at 11:18am

बढ़िया गज़ल! हार्दिक बधाई!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service