छंद त्रिभंगी
विधान : चार पद, दो दो पदों में सम्तुकांतता,
प्रति पद १०,८,८,६ पर यति,
पदांत में गुरु अनिवार्य
प्रत्येक पद के प्रथम दो चरणों में तुक मिलान
जगण निषिद्ध
यह जीवन मृण्मय , बंधन तृणमय , भास हिरण्मय , भरमाए
इन्द्रिय बहिगामी , कृत परिणामी , क्षय अक्षय में , उलझाए
निज प्राण शुद्ध हो, बुद्धि बुद्ध हो , सत ज्योतिर्मय , सुधि पाए
तब प्राण ब्रह्मलय , हृदय प्रेममय , नित मंगलमय , धुन गाए
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
अतीव सुन्दर, तत्सम शब्दों का धाराप्रवाह प्रयोग सार्थक शब्दसंयोजन के साथ सोद्देश्य दर्शन स्थापित करता हुआ अनुपम प्रतीत होता है। हार्दिक बधाई माननीया।
महनीया
बहुत सुन्दर i सुन्दर शब्द चयन i मनोहारी भाव और सतर्कता i
यही तो प्रतिभा है i माँ का वरदान है i
आपसे सदैव ही कुछ अजगुत की अपेक्षा रहती है i
आपने पूरा किया i बहुत शुभकामनाये i
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online