For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गर्भाधान (लघुकथा) - रवि प्रभाकर

“पापा ! टीचर ने कहा है कि फीस जमा करवा दो, नहीं तो इस बार नाम अवश्य काट दिया जाएगा।"
“अजी सुनते हो ! बनिया आज फिर पैसे मांगने आया था।”
“अरे बेटा ! कई दिन हो गए दवाई खत्म हुए, अब तो दर्द बहुत बढ़ता जा रहा है, आज तो दवाई ला दो।”

ये सभी आवाज़ें उसके मस्तिष्क पर हथोड़े की भाँति चोट कर रही थीँ।
मगर उसके दिल में एक नई कविता का खाका जन्म ले रहा था।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1287

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prabhakar on December 11, 2013 at 2:42pm

आदरणीय मीना पाठक जी व आदरणी चन्द्रशेखर जी
लघुकथा पढ़ने व पसंद करने हेतु हृदय से धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 11, 2013 at 2:41pm

आदरणीय डाॅ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,
लघुकथा की रूह में उतरने पर आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपकी टिप्पणी से कृतार्थ हूं।

Comment by Ravi Prabhakar on December 11, 2013 at 2:39pm

आदरणीय जितेन्द्र जी एवं गिरीराज भंडारी जी,
लघुकथा पर आपकी विवेचना का हृदय से आभार ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 11, 2013 at 2:36pm

परम आदरणीय बागी भाई जी,
आप लघुकथा की रूह तक पहुंचे धन्यवाद। आपसे शाबासी प्राप्त करना सदैव बहुत ही अच्छा लगता है। भविष्य में भी आपका आशीर्वाद मिलता रहे....... धन्यवाद ।

Comment by Ravi Prabhakar on December 11, 2013 at 2:29pm

माननीय गीतिका बहन, अापकी उत्‍साहवर्धक टिप्‍पणी से आनंदित हुआ, धन्‍यवाद.

Comment by Ravi Prabhakar on December 11, 2013 at 2:26pm

आदरणीय शिज्‍जु शकूर जी, आपने लघुकथा का मर्म समझा, और आपको यह अच्‍छी लगी, धन्‍यवाद

Comment by vijay nikore on December 11, 2013 at 7:53am

इस सशक्त लघु कथा के लिए बधाई,आदरणीय

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by coontee mukerji on December 10, 2013 at 10:35pm

बहुत सुंदर लघु कथा.बधाई स्वीकार करें.

सादर

Comment by Shubhranshu Pandey on December 10, 2013 at 6:05pm

आदरणीय रवि जी, 

मस्तिष्क पर हथौडे़ के अनवरत प्रहार हुए हैं.. फिरभी हृदय से उठती कोमल स्वरलहरियों के स्पंदन को रोक नहीं सका. 

.......अपनी धुन में रहता हूँ, मैं भी तेरे जैसा हूँ.......गुलाम अली की गजल को गुनगुनाने का मन कर रहा है....

सादर. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 10, 2013 at 4:16pm

शीर्षक से लेकर लघुकथा के अंतिम शब्द तक सबकुछ सार्थक, व्यवस्थित और सहज. वाह वाह वाह !

बहुत दिनों पर इस विधा में वस्तुतः कुछ ऐसा पढ़ा जिससे एक पाठक के तौर पर अपने वर्तमान को बिना किसी अतिरेक या शिष्टाचारी व्यवहार के जोड़ गया. एक सामान्य से तथ्य का अद्वितीय प्रस्तुतीकरण !
बधाई, अनुज रविजी ,बधाई.. !

शुभ-शुभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service