For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : कीमत (गणेश जी बागी)

शास्त्री जी बहुत खुश हैं, नए घर का आज गृह प्रवेश समारोह है ।  विदेश से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट की पढ़ाई पूर्ण कर इकलौता बेटा भी कल घर पहुँच गया था ।
"पापा, गेस्ट आ गये हैं आप कहें तो डिनर स्टार्ट करवा दूँ"
"नहीं बेटा, कुछ विशिष्ट अतिथियों का मैं इन्तजार कर रहा हूँ पहले वो आ जाएँ फिर भोजन प्रारम्भ कराते हैं" शास्त्री जी ने बेटे को समझाया ।
"विशिष्ट अतिथि कौन पापा ?"
"इस घर को अपने श्रम और पसीने से बनाने वाले मिस्त्री और मजदूर"
"उफ्फ ! आप भी न पापा, उनको उनकी कीमत दे दी, बात ख़त्म"
"बेटा, पसीने की कीमत देने की औकात मुझ में क्या किसी में नहीं है, शायद यह बात मैनेजमेंट में नहीं पढ़ाई जाती ।

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट =>अतुकांत कविता - नि:शब्द

Views: 1150

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on December 10, 2013 at 9:48am

बहुत सुन्दर सन्देश प्रद लघुकथा  आदरणीय बागी जी .. 

Comment by Shubhranshu Pandey on December 10, 2013 at 9:46am

आदरणीय गणेश भैया, 

एक अलग विषय पर बहुत सुन्दर कथा.

आभासी दुनिया तैयार करने वाले उसमें विचरण करनेवाले श्रम को शर्म समझनेवाले पसीना केवल जिम या ट्रेडमिल पर ही निकालते हैं. कथा के अन्त ने कथा के सारे तत्वों को पूर्ण करता हुआ समाप्त हो रहा है. 

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 10, 2013 at 8:05am

वाह आदरणीय गणेशजी बहुत अच्छी बात कही है आपने कुछ बातें होती हैं जो मैनेजमेंट मे तो क्या किसी भी कोर्स में नही पढ़ाई जाती, इस लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:49am

आदरणीय गणेश बागी भाई , !!!!!! सच मे पसीने और आँसू की कीमत लगाना मुमकिन नही है न ही कीमत चुकाना मुमकिन है !!!!

 !!!!! आपकी सुन्दर लघुकथा के लिये आपको ढेरों बधाई !!!!!

Comment by vandana on December 10, 2013 at 6:49am

बेटा, पसीने की कीमत देने की औकात मुझ में क्या किसी में नहीं है, शायद यह बात मैनेजमेंट में नहीं पढ़ाई जाती ।

सच कहा आपने आदरणीय गणेश जी  इस मैनेजमेंट ने तो भावधारा को सुखा कर ही रख दिया है किन्तु ऐसी रचनाएं ही नमी को बचाकर लुप्त झरनों को पुन:प्रस्फुटित होने  की आशा को जीवित रखती हैं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on December 10, 2013 at 1:49am
बहुत सुंदर रचना आदरणीय बागी जी. आप लघुकथा कहिये मैं कहूंगा एक कविता लघुकथा बनकर निकल आयी है आपके दिल से. बहुत दिन बाद एक वास्तविक सुंदर रचना दिखी इस विधा में, इस मंच पर. मेरा नमन. सादर.
Comment by ram shiromani pathak on December 9, 2013 at 11:28pm

जय हो आदरणीय वाह क्या चित्रण किया  है  .... हार्दिक बधाई आपको 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 9, 2013 at 11:13pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया गीतिका वेदिका जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 9, 2013 at 11:12pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र गीत जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 9, 2013 at 11:10pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन करती है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service