शास्त्री जी बहुत खुश हैं, नए घर का आज गृह प्रवेश समारोह है । विदेश से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट की पढ़ाई पूर्ण कर इकलौता बेटा भी कल घर पहुँच गया था ।
"पापा, गेस्ट आ गये हैं आप कहें तो डिनर स्टार्ट करवा दूँ"
"नहीं बेटा, कुछ विशिष्ट अतिथियों का मैं इन्तजार कर रहा हूँ पहले वो आ जाएँ फिर भोजन प्रारम्भ कराते हैं" शास्त्री जी ने बेटे को समझाया ।
"विशिष्ट अतिथि कौन पापा ?"
"इस घर को अपने श्रम और पसीने से बनाने वाले मिस्त्री और मजदूर"
"उफ्फ ! आप भी न पापा, उनको उनकी कीमत दे दी, बात ख़त्म"
"बेटा, पसीने की कीमत देने की औकात मुझ में क्या किसी में नहीं है, शायद यह बात मैनेजमेंट में नहीं पढ़ाई जाती ।
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट =>अतुकांत कविता - नि:शब्द
Comment
बहुत सुन्दर सन्देश प्रद लघुकथा आदरणीय बागी जी ..
आदरणीय गणेश भैया,
एक अलग विषय पर बहुत सुन्दर कथा.
आभासी दुनिया तैयार करने वाले उसमें विचरण करनेवाले श्रम को शर्म समझनेवाले पसीना केवल जिम या ट्रेडमिल पर ही निकालते हैं. कथा के अन्त ने कथा के सारे तत्वों को पूर्ण करता हुआ समाप्त हो रहा है.
सादर.
वाह आदरणीय गणेशजी बहुत अच्छी बात कही है आपने कुछ बातें होती हैं जो मैनेजमेंट मे तो क्या किसी भी कोर्स में नही पढ़ाई जाती, इस लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करें
आदरणीय गणेश बागी भाई , !!!!!! सच मे पसीने और आँसू की कीमत लगाना मुमकिन नही है न ही कीमत चुकाना मुमकिन है !!!!
!!!!! आपकी सुन्दर लघुकथा के लिये आपको ढेरों बधाई !!!!!
बेटा, पसीने की कीमत देने की औकात मुझ में क्या किसी में नहीं है, शायद यह बात मैनेजमेंट में नहीं पढ़ाई जाती ।
सच कहा आपने आदरणीय गणेश जी इस मैनेजमेंट ने तो भावधारा को सुखा कर ही रख दिया है किन्तु ऐसी रचनाएं ही नमी को बचाकर लुप्त झरनों को पुन:प्रस्फुटित होने की आशा को जीवित रखती हैं
जय हो आदरणीय वाह क्या चित्रण किया है .... हार्दिक बधाई आपको
बहुत बहुत आभार आदरणीया गीतिका वेदिका जी |
सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र गीत जी |
बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन करती है |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online