ग्यारह - बारह बाद में , है तेरह का साल
अंकों ने कैसा किया , देखो आज कमाल
देखो आज कमाल , दिवस यह अच्छा बीते
आज किसी के स्वप्न , नहीं रह जायें रीते
दिल कहता है अरूण, आज तू कुंडलिया कह
है तेरह का साल , मास- तिथि बारह-ग्यारह ||
अरूण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
कौतुकजन्य दिनांक यह, जीवन अपना धन्य
हफ़्ता-दिन-पल-साल क्रम, लेकिन यह दिन अन्य
लेकिन यह दिन अन्य, चकित हर नर नारी है
अंकों का व्यवहार, क्रमागत यह पारी है
घंट-मिनट-सेकण्ड, बढ़ाते हरदिल धुक-धुक
बड़भागी हम लोग, देखते तिथि का कौतुक
सादर आदरणीय अरुण भाईजी,, ,
सुन्दर कुंडलियाँ छंद के लिए बधाई श्री अरुण कुमार निगम जी -
ग्यारह बारह बाद में, तेरह का है वर्ष,
अंको में विश्वास कर, खूब मनाते हर्ष |
खूब मनाते हर्ष, दिवस खुशियों में बीते,
महिमा बड़ी अपार, अंक बिना शब्द रीते |
लक्ष्मण कहता बात,सुख दुःख तू सहता रह
यह तेरह का वर्ष, माह तिथि बाढ़-ग्यारह | -लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
११-१२-१३ की विशिष्ट तारीख पर बहुत सुन्दर कुण्डलिया छंद कहा आदरणीय अरुण जी
सभी के स्वप्नों की साकारता के लिए शुभकामना प्रेषित करने के लिए धन्यवाद
आदरणीय अरुण सर वाह कमाल की कुण्डलिया रची है बिल्कुल मौके के हिसाब से बधाई स्वीकार करें
बहुत सुन्दर | बधाई आप को , सादर
त्वरित लेखन का उत्तम उदहारण ! बहुत सुन्दर आदरणीय !
११-१२-१३ के गणित पर बहुत सुंदर रचना, आपकी शुभ कामनाओं के लिए धन्यवाद आदरणीय अरुण निगम जी
आदरणीय निगम जी, बहुत खूब कहा शानदार कुंडलिया... बधाई .............
आदरणीय अरुण भाई , सुन्दर कुंडलिया के आज के दिन को यादगार बनाने के लिये आपको बहुत बधाई !!!!!!
बहुत खूब......आज खूब नये ज़ोड़े प्रणय सूत्र में बँध रहे है.11 12 13 आपके जीवन में खूब खुशियाँ लाये.
शुभेच्छु
कुंती.
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