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कष्ट सहे जितने यहाँ,डाल समय की धूल|

अंत भला सो सब भला ,बीती बातें भूल||

 

विद्या वितरण से खुलें ,क्लिष्ट ज्ञान के राज|

कुशल तीर से ही सधे ,एक पंथ दो काज||

 

कृष्ण काग खादी पहन,भूला अपनी जात|

चार दिवस की चाँदनी,फिर अँधियारी रात||

 

जिसके दर पर रो रहा , वो है भाव विहीन|

फिर क्यों आगे भैंसके,बजा रहा तू बीन|| 

 

सफल करो उपकार में,जीवन के दिन चार|

अंधे की लाठी पकड़ ,सड़क करा दो पार||

        

विटप बिना जो नीर के ,जड़ से सूखा जाय|

सावन का अंधा उसे ,हरा हरा बतलाय||

 

बुरी बला लालच समझ ,मन का तुच्छ विकार|

जितनी चादर ढक सके ,उतने पैर पसार||

 

तू देखेगा और का ,भगवन तेरा हाल|

बस करके नेकी यहाँ ,दरिया में तू डाल||

 

 लाया क्या कुछ साथ तू ,जो ले जाए साथ|

  छूटेगा सब कुछ यहाँ ,जाना खाली हाथ|| 

 

 (पुच्छल)

ओबीओ की भीड़ में, रचना  खो ना जाय|

जैसे मुँह में ऊँट के ,जीरा मिल ना पाय||

**************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 6:44pm

आदरणीय नादिर खान  जी दोहावली ने आपको प्रभावित किया पसंद आई मेरा लेखन सार्थक हुआ दिल से आभार आपका.  

Comment by नादिर ख़ान on December 12, 2013 at 6:09pm

आदरणीया  राजेश जी एक से बढ़कर एक मंत्र मुग्ध कर देने वाले दोहे ...

बहुत बहुत  बधाई आपको इस शानदार रचना के लिए ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 2:18pm

जितेन्द्र गीत जी आपने बहुत अच्छी बात कही है किसी न किसी परिस्थिति में इन कहावतों का जन्म हुआ होगा कई बार हम लोग भी और हमारे बड़े भी इन कहावतों को दैनिक बोलचाल में प्रयोग करते आये हैं बस यूँ ही एक दिन ये प्रयोग करने की दिमाग में आई और ये कोशिश की ,आप को पसंद आई दिल से आभारी हूँ ,प्रतिक्रिया स्वरुप दोहा बहुत बढ़िया लिखा. 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 12, 2013 at 12:39pm

 इन्सान जीवन में कहीं विचलित न  हो , शायद इसीलिए कहावतों  का प्रयोग किया जाता रहा होगा, आपने इन कहावतों को नया रूप देकर, एक सकारात्मक सुखद सन्देश दिया है, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश जी

" आप आराम से रहो, सब है जिम्मेदार ''

" कहावतों में कह गये, चिंता है बेकार "....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:46am

राहुल देव जी, हार्दिक आभार आपका. 


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Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:45am

अरुण श्रीवास्तव जी दोहों पर आपकी सराहना  पाकर उत्साहित हूँ ,मेरा प्रयोग सफल हुआ दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:44am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपको कहावतों को दोहों में प्रयोग करने वाला ये प्रयोग अच्छा लगा मैं भी आश्वस्त हुई कि लिखना सार्थक हुआ आपकी सराहना से मेरी लेखनी को बल मिला हार्दिक आभार आपका.  


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Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:37am

प्रिय प्रियंका सिंह जी, दोहे पसंद आये आपको, सराहना के लिए दिल से आभार आपका. 

Comment by Arun Sri on December 12, 2013 at 10:31am

वाह ! वाह ! कहावतों को बिल्कुल नए रूप में प्रस्तुत किया आपने ! और इतने सटीक कि उन कहावतों कि जगह पूरे दोहे का प्रयोग हो सकता है ! बहुत सुन्दर ! वाह !


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Comment by rajesh kumari on December 12, 2013 at 10:23am

प्रिय महिमा श्री जी आपको दोहावली पसंद आई लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ. 

कृपया ध्यान दे...

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