“एक पोता भी नही दे सकी कलमुंही” वार्ड में सास की आवाज़ गूँजी,
इतने में अंदर आते हुये डॉक्टर ने जब ये सुना तो कहा- “पति के शरीर में एक्स- वाई(X-Y) क्रोमोसोम्स होते हैं, पत्नि के शरीर में एक्स-एक्स(X-X) क्रोमोसोम्स होते हैं, पति का वाई(Y) क्रोमोसोम पत्नि के एक्स(X) क्रोमोसोम से मिलता है तो बेटा होता है, पति का एक्स(X) क्रोमोसोम पत्नि के एक्स(X) क्रोमोसोम से मिलता है तो बेटी होती है l
पता नही आपके क्या समझ में आया? लेकिन इतना सच जान लीजिये आपको पोता नही मिला उसका पूरा दोष आपके बेटे का है।“
बहू की आँखें मानो पूछ रही थी- “ क्या अब आप अपने बेटे से बोल सकती हैं एक पोता भी नही दे सका.....................?”
-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गोपाल नारायण सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया। जीव विज्ञान भले समझ न आये लेकिन आखिरी पंक्ति बस दिमाग में घुस जाये उन लोगों के जो बेटा बेटा करते हैं, जब बेटी ही नही होगी तो फिर बेटा कहाँ से आयेगा।
आपका आभार आदरणीय अविनाशजी
आपका आभार भाई जितेन्द्र जी
आदरणीया वंदना जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीया उपासना जी बार बार चोट करो तो लोहा भी टूट जाता है, सच्चाई सभी को मालूम होनी चाहिये
आदरणीया कुन्ती जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय शिज्जू भाई जी बहुत ही गहन बात कही है आपने इस लघुकथा के माध्यम से विचारणीय प्रश्न ? सुन्दर लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई आपको.
आदरणीय शिज्जु जी.
विज्ञान का एक सरल संयोजन, महिलाओं पर अत्याचार का विषम संयोग.
एक सुन्दर कथा.
सादर.
मित्र शिज्जू जी
आपका जीव्- विज्ञानं तो कुछ पाठको को समझ में न आया होगा परन्तु आपका जो मैसेज है उसे सबने समझा होगा i आज के वैज्ञानिक युग में अब केवल बहू को दोष देना आसान नहीं रह गया है i अब बेटे को भी कटघरे में खडा होना पड़ेगा i एक अच्छी चेतना के लिए मित्र को बधाई i
nagn saty samaj ka....ise ukerati bhaw-poorn laghukatha ..शिज्जु शकूर ji
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