कल तक थी जाने कहाँ
आज आ रही है पास वो
देख नहीं पाये जो
जीवन के रंगों को
ले रही उन्हें भी
अपने आगेाश में वो
ना सुना नाम कभी
ना जाना पहचान ही
चुपके से चली आयी वो
तोड़ने उनकी सॉसे को
इल्जाम कभी लेती नहीं
अपने दामन पर वो कभी
है इल्जाम उनहीं पे
खत्म करती जिसका
जीवन वो
जीवन में नहीं रंग उतने
नाम उनका उतना हैं
आ जाती है चुपके से वो
जाने कब जीवन में
हो कर शिकार उनका
छोड जाते जीवन को
पहले वाली बात नहीं अब
जब शिकार होते बुढे़ थे
क्या बच्चे
क्या जवान
शिकार होते नौनिहाल भी
नाम बडा है
काम बडा है
आताी पास वो
आसानी से
तुरंत आते आशोग में उनके
देखते रह जाते अपने सारे
एडस,कैसर,
जाने क्या क्या
नाम उनका
आता नित्य नया नया है
दिल जिसका शांत है
शिकार हो रहा
दिल के दौरे का
सुनी करती गोद किसकी
करती वो सूनी माँग है
करती बच्चे को अनाथ
तोड़ती राखी का प्यार है
आँखे गीली ना कर पाता
पिता का ऐसा भाग्य है
कल जो करते थे बाते
देते आज मुखाअग्नि हैं
पूरे जीवन को
तहस नहत
कर जाती है
ये बिमारीयॉं
कर देती मजूबर ये
बीमारीयाँ
जीवन भर रोने को
मजबूर कर देती है
अखंड ये बीमारीयाँ
ये बीमारीयाँ।।
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी की रचना
Comment
आदरणीय Saurabh Pandey जी यथा संभव प्रयास आपके मार्गदर्शन अनुसार जारी है
ऐसी ही घटनाएँ कई-कई कथ्यों और तथ्यो का कारण बनती हैं भाईजी.
इसी भावना को सार्थक रूप से शब्दबद्ध करना कविता करना है. आप प्रयासरत रहें, सही राह पर है,
शुभ-शुभ
आदरणीय Saurabh Pandey जी उत्साहवर्धन एवं आपके मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्वीकार करें. मैं श्रीमन इस रचना के बारे में बस इतना कहना चाहता हूँ कि इसमें शिल्प या अन्य विषय वस्तु में क्या कमी है मै जानते हुए भी नही जानता चाहता मैं तो बस केवल यह बात जानता हॅू कि उस 42 साल के युवक जिसकी मौत दिल के दौरे से हुई जिसका के अंतिम संस्कार से आने के वाद आप दुखी थे और उसके साथ जो मेरा अन्य मित्र जो इसी बिमारी की वजह से मेरे साथ चाय पीते पीते चला गया जिसकी महज 1 वर्ष पूर्व विवाह हुआ था उसकी पत्नी मॉं बनने वााली थी उसको श्रृधाजंली देने का प्रयास किया था ;;;;अपनी बेमानी बातेा के लिये आप से क्षमा चाहता हूँ
बहुत सार्थक प्रयास हो रहा है. आप अन्य रचनाकारों की रचनाओं को पढ़ते हुए भी बहुत कुछ समझ सकते हैं.
हार्दिक शुभेच्छाएँ.
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी उत्साहवर्धन एवं आपके मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्वीकार करें, बाबा जी हो सकता है ये दर्द मेरा हो मगर इससे गुजरना हम सभी को पड़ता है फिर चाहे हम हो आप हो या यहॉं उपस्थित सभी आदरणीय/आदरणीया या फिर पूरा संसार, अंन्तर यही है परिपक्त उम्र में किसी ने देखा इससे किसी ने ऐसे समय पर जब वह खुद सहारे का मोहताज था और हालत ये हो जाती है ना वो आँसू बहा सकता है ना लडखडा सकता है क्योकि उसके बहते हुए आँसू उसके परिजनों का हौसला तोड़ देगें
वह तो रो भी नहीं सकता है ना बोल सकता है जिससे उसका दिल हल्का भी हो सके
आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' जी उत्साहवर्धन एवं आपके मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्वीकार करें
आदरणीय laxman dhami जी उत्साहवर्धन एवं आपके मार्गदर्शन के हम सदैव आकांक्षी है प्रणाम स्वीकार करें
लगता है आप अपने भोगे हुए दर्द का ही बयान कर रहे है i बधाई हो i
सुंदर रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीय अखंड जी,
आदरणीय अखंड भाई , सुन्दर रचना के लिये बधाई
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