बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22
मौत के साथ आशिकी होगी,
अब मुकम्मल ये जिंदगी होगी,
उम्र का ये पड़ाव अंतिम है,
सांस कोई भी आखिरी होगी,
आज छोड़ेगा दर्द भी दामन,
आज हासिल मुझे ख़ुशी होगी,
नीर नैनों में मत खुदा देना,
सब्र होगा अगर हँसी होगी,
आखिरी वक्त है अमावस का,
कल से हर रात चाँदनी होगी.
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
बहुत बहुत शुक्रिया भाई लक्ष्मण धामी जी
तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय शिज्जु भाई जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरे लिए संतोष की बात है स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
हार्दिक आभार आदरणीया महिमा श्री जी
हार्दिक आभार आदरणीया कुंती मुखर्जी जी
बहुत बहुत शुक्रिया अनुराग भाई जी
हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज सर ग़ज़ल आपको पसंद आई सार्थक हुई स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीय अरुण जी, बेहतरीन गजल यह शेर खास पसंद हुए, दिली दाद कुबूल कीजिये
उम्र का ये पड़ाव अंतिम है,
सांस कोई भी आखिरी होगी,
आज छोड़ेगा दर्द भी दामन,
आज हासिल मुझे ख़ुशी होगी,
आदरणीय अरुण भाई ,
पूरी गज़ल लाजवाब है, ढेरों बधाइयाँ
भाई अरूणजी बेहतरीन ग़ज़ल है बधाई स्वीकार करें
//उम्र का ये पड़ाव अंतिम है,
सांस कोई भी आखिरी होगी,//
बस यहाँ मैं कहना चाहूँगा
"हर नफ़स पहली है वही आखिर
जिन्दगी है तो जिन्दगी होगी"
नीर नैनों में मत खुदा देना,
सब्र होगा अगर हँसी होगी,... बहुत खूब... आदरणीय अनंत जी हार्दिक बधाई आपको ..
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