गरीब का पेट
बड़ा जालिम होता है
गरीब का पेट
नहीं देता देखने
सुन्दर-सुन्दर सपने
गरीबी के दिनों में
छीन लेता है वह
सपना देखने का हक
जब कभी
देखना चाहती है आंख
सुंदर सा सपना
मागने लगता है पेट
एक अदद सूखी रोटी
आंख ढूंढ ने लगती है तब
इधर उधर बिखरी जूठन
और फैल जाते हैं हाथ
मागने को निवाला
गरीबी के दिनों में
दूसरों के सम्मुख फैले हुए हाथ
सपना देखती आंख के
मददगार नहीं होते कभी
इसलिए भूखे पेट
कभी नही होता आंख को
सपने देखने का साहस
सपना देखने के लिए
जरूरी है पेट का भरा होना
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
एक सार्थक प्रयास हुआ भाईजी..
शुभकामनाएँ
सपना देखने के लिए
जरूरी है पेट का भरा होना....... बिलकुल सही आदरणीय .धामी जी ...बहुत -२ बधाई आपको .. यथार्थ तो जीवन का यही हैं .. जिन्हें एक जून की रोटी भी नसीब से ही मिलती हैं .. जिन्दगी में कुछ ना वे सोच पाते है ना कर पाते हैं ..फिर सपना तो दूर की कौड़ी ही है .. सादर
लक्ष्मण भाई , गरीब की व्यथा को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक बधाई।
धामी जी
मनभावन पंक्तियों के लिए आपको साधुवाद i
सभी प्रबुद्ध जनों को प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद
//सपना देखने के लिए
जरूरी है पेट का भरा होना//
यथार्थ को बयां करती रचना, सच! भूखे पेट तो सपना भी नहीं देखा जा सकता, बधाई स्वीकारें आदरणीय लक्ष्मण जी
गरीब को क्या चाहिये रोटी,कपड़ा,और मकान.
अच्छी है! आपको हार्दिक बधाई!
सपना सभी देखते हैं, भले ही रोटी का देखें!
आ. लक्षमण जी सुन्दर रचना हार्दिक बधाई,
सचमुच गरीबी एक अभिशाप है, आपकी रचना में समाहित भाव इसी ओर इंगित कर रहे है.
आदरणीय लक्ष्मण भाई , सच बयान किया है आपने , भूखे पेट को रोटी के सिवा कुछ नही सूझता ॥ सुन्दर रचना के लिये बधाई ॥
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online