For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गरीब का पेट

बड़ा जालिम होता है
गरीब का पेट
नहीं देता देखने
सुन्दर-सुन्दर सपने
गरीबी के दिनों में
छीन लेता है वह
सपना देखने का हक
जब कभी
देखना चाहती है आंख
सुंदर सा सपना
मागने लगता है पेट
एक अदद सूखी रोटी
आंख ढूंढ ने लगती है तब
इधर उधर बिखरी जूठन
और फैल जाते हैं हाथ
मागने को निवाला
गरीबी के दिनों में
दूसरों के सम्मुख फैले हुए हाथ
सपना देखती आंख के
मददगार नहीं होते कभी
इसलिए भूखे पेट
कभी नही होता आंख को
सपने देखने का साहस
सपना देखने के लिए
जरूरी है पेट का भरा होना

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 2:31pm

एक सार्थक प्रयास हुआ भाईजी..

शुभकामनाएँ

Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2013 at 7:32pm

सपना देखने के लिए
जरूरी है पेट का भरा होना....... बिलकुल सही आदरणीय .धामी जी ...बहुत -२ बधाई आपको ..  यथार्थ तो जीवन का यही हैं .. जिन्हें एक जून की रोटी भी नसीब से ही मिलती हैं ..  जिन्दगी में  कुछ ना वे सोच पाते है ना कर पाते हैं ..फिर  सपना तो दूर की कौड़ी ही है .. सादर

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 26, 2013 at 2:23pm

लक्ष्मण भाई , गरीब की व्यथा को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 26, 2013 at 11:12am

धामी जी

मनभावन पंक्तियों के लिए आपको साधुवाद  i

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 26, 2013 at 6:58am

सभी प्रबुद्ध जनों को प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 25, 2013 at 10:49pm

//सपना देखने के लिए
जरूरी है पेट का भरा होना//

यथार्थ को बयां करती रचना, सच! भूखे पेट तो सपना भी नहीं देखा  जा सकता, बधाई स्वीकारें आदरणीय लक्ष्मण जी

Comment by coontee mukerji on December 25, 2013 at 9:29pm

गरीब को क्या चाहिये रोटी,कपड़ा,और मकान.

Comment by बृजेश नीरज on December 25, 2013 at 8:11pm

अच्छी है! आपको हार्दिक बधाई!

सपना सभी देखते हैं, भले ही रोटी का देखें!

Comment by Satyanarayan Singh on December 25, 2013 at 7:28pm

आ. लक्षमण जी सुन्दर रचना हार्दिक बधाई,

     सचमुच गरीबी एक अभिशाप है,  आपकी रचना में समाहित भाव इसी ओर इंगित कर रहे है.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 25, 2013 at 4:39pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , सच बयान किया है आपने , भूखे पेट को रोटी के सिवा कुछ नही सूझता ॥ सुन्दर रचना के लिये बधाई ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service