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मेरी शायरी का असर है तू ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

॥ नये साल की पहली ग़ज़ल मेरे भगवान को समर्पित ॥

 ॐ श्री साई नाथाय नमः

   11212        11212

मेरी शायरी का  असर  है  तू

मेरी ज़िन्दगी का  हुनर है  तू

मै हूँ एक बुझती सी आग बस

मुझे फिर जला दे , शरर है तू

तू  नज़र से  मेरी है  दूर पर

मै हूँ  देखता , वो नज़र  है तू

तू हवा भी है तू फ़िज़ा  भी है

तू ही चांदनी है , क़मर  है तू  ( क़मर = चाँद )

तुझे  हर तरफ  मै हूँ  देखता  

बू-ए-गुल भी तू है शजर है तू

मेरी  सोच भी , तू खयाल भी

मेरी  शाम तू  है सहर  है तू

तू  ही  रास्ता तू ही   राहबर

मेरा  कारवाँ  है सफर  है  तू

मै  ही तू हुआ, तू ही मै बना

तू  खला कभी तो दहर है तू  ( दहर = संसार )

मेरी  जीत  भी ,मेरी  हार भी

तू है  शादमानी, कहर  है तू

मै  तो इक ग़रीब सा फ़र्द हूँ

मै  कहूँ  ख़ुदा से गुहर है तू

********************************   

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

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Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 9:08pm

के जिसपे सबकुछ बेअसर हो
मेरे मुरशिद वो असर है तू ।

क्या लिखते हैं आदरणीय भण्डारी जी आप इस सूफियाना अंदाज़
के तो कायल हो रखे हैं हम
बहुत ही खूबसूरत

मेरे जिन शब्दों पे था मुझेबहुत ही नाज़ ।
आज फ़कीर कर गए मुझे मेरे वो अलफ़ाज़ ।

क्या कहूँ शब्दों कि तो एक सीमा है
और कहने का भाव बहुत असीम है

Comment by रमेश कुमार चौहान on January 1, 2014 at 8:40pm

इस नव वर्षपर प्रस्तुत भाव पूर्ण रचना के लिये बधाई।  नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2014 at 7:47pm

आदरणीय गिरिराज जी मेरे कहने का मतलब है कि कहर और दहर का वज्न 21 होता है, फिर भी इस विषय में जानकारों की राय जानना सही रहेगाl देखें वे क्या कहते हैं?


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 6:25pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , ग़ज़ल पर आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 1, 2014 at 6:07pm
1-तू तू करता तू भया मुझ मय रही न हुँ।
2- जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है।
ऐसे ही कई सारे दार्शनिक- आध्यात्मिक उक्तियों से साक्षात्कार करवाती अत्यंत सुन्दर गजल।
नववर्ष की अनेकश: शुभकामनाएं।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:49pm

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥ तकाबुले रदीफ दोष का ध्यान दिलाने के लिये शुक्रिया , ठीक कर लूंगा ॥ कह्र और दह्र मै जानता हूँ , पर कई बड़े शायरो को कहर और दहर उपयोग करते देखा है, इस्लिये फायदा उठा लिया है , नही तो मेरे दो शेर काटने पड़ जायेंगे ॥


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Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:47pm

आदरणीय सुशील भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन करने केलिये आपका हार्दिक आभार ॥


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Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:46pm

आदरणेय श्याम भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आभारी हूँ ॥


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Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:45pm

आदरणीय बड़े भाई अखिलेश जी , सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:14pm

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥ तकाबुले रदीफ दोष का ध्यान दिलाने के लिये शुक्रिया , ठीक कर लूंगा ॥ कह्र और दहर मै जानता हूँ , पर कई बड़े शायरो को कहर और दहर उपयोग कर्ते देखा है इस्लिये फायदा उठा लिया है , नही तो मेरे दो शेर काटने पड़ जायेंगे ॥

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