नये वर्ष से है ,हम सबको
उम्मीदें कुछ खास
आँगन के बूढ़े बरगद की
झुकी हरिक डाली
मौसम घर का बदल गया ,
फिर
विवश हुआ माली
ठिठुर रहे है सर्द हवा में
भीगे से अहसास
दरक गये दरवाजे घर के
आंधी थी आयी
तिनका तिनका भी उजड़ गया
बेसुध है माई
जतन कर रही बूढी साँसे
आये कोई पास
चूँ चूँ करती नन्हीं चिड़िया
नयी जगह घबराय
दुनियाँ उसकी बदल गयी है
कौन उसे समझाय
ऊँची ऊँची अटारियों पे
सूनेपन का वास
नए वर्ष के आगमन का
पंछी गाते गीत
बागों की कलियाँ भी झूमे
भौरों का संगीत
नयी ताजगी ,नयी उमंगें
मन में है उल्लास
इस नये वर्ष से है सबको
उम्मीदें कुछ खास।
-- शशि पुरवार
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
अच्छी प्रस्तुति है, एक ही रचना में अनेक स्थितियाँ एवं भावनाओं की हिल्लोरें..हार्दिक बधाई.
आदरणीया शशि जी , सुन्दर नवगीत रचना के लिये आपको बधाइयाँ ॥ नये साल की भी हार्दिक बधाइयाँ ॥
नयी ताजगी ,नयी उमंगें
मन में है उल्लास
इस नये वर्ष से है सबको
उम्मीदें कुछ खास।.... बहुत सुंदर गीत आदरणीया शशि जी हार्दिक बधाई आपको सादर /
ठिठुर रहे है सर्द हवा में
भीगे से अहसास...मार्मिक
खूबसूरत एहसासों से भरी रचना.... सोचने पर मजबूर करती हुई| बधाई आदरणीया शशि जी
आदरणीया शशिजी , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी हो॥ सुंदर रचना की हार्दिक बधाई ।
नये साल की बहुत सारी शुभकामनायें ।
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नववर्ष की हार्दिक बधाइयाँ
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