बह्र-ए- खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22
इश्क में डूब इन्तहाँ कर ली,
यार मुश्किल में अपनी जाँ कर ली,
भा गई सादगी अदा हमको,
जल्दबाजी में हमने हाँ कर ली,
वश में पागल ये दिल नहीं अब तो,
धडकनें छेड़ बेलगाँ कर ली,
पाँव जख्मी लहू से लथपथ हैं,
राह ने ठोकरें जवाँ कर ली,
नाम बदनाम हो न महफ़िल में,
शायरी मैंने बेजबाँ कर ली..
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
वाह ..क्या अदायगी है
भा गई सादगी अदा हमको,
जल्दबाजी में हमने हाँ कर ली,....बेहद उम्दा साहब
//इश्क में डूब इन्तहाँ कर ली,
यार मुश्किल में अपनी जाँ कर ली,// बहुत बढ़िया वाह
//बेलगाँ// इस शब्द का मतलब समझ में नही आया
बहुत सुंदर .... बधाई स्वीकार करें ....
shaandaar gazal ka hr sher jaandaar ...इश्क में डूब इन्तहाँ कर ली,
यार मुश्किल में अपनी जाँ कर ली,wah bahut khoob...dilee daad kabool farmaayen
इश्क में डूब इन्तहाँ कर ली,
यार मुश्किल में अपनी जाँकर ली
भा गई सादगी अदा हमको,
जल्दबाजी में हमने हाँ कर ली,
बहुत खुबसूरत गजल, यह शेर बहुत खास पसंद हुए , दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय अरुण जी
वाह क्या अंदाज़ है....हार्दिक बधाई.अरून जी.
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