For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - (अय्यूब खान "बिस्मिल")

वज़न २२१२ २२१२ २२१२ १२

उसने दिया इनकार का पैग़ाम उम्र भर

हाँसिल नहीं कुछ बस हुआ बदनाम उम्र भर

ये मुद्दतों की प्यास है मिटती अबस तभी

अपनी नज़र से जब पिलाती जाम उम्र भर

आग़ाज़ मोहब्बत का था जब दर्द से भरा

लाज़िम मुझे सहना ही था अंजाम उम्र भर

बस एक तिरी ख्वाहिश में खोया वजूद तक

ये ज़िन्दगी भी रह गई बे-नाम उम्र भर

दिल की तिजारत दर्द से बिस्मिल किया किये

उल्फत में बस ये ही रहा एक ख़ाम उम्र भर

   **( अय्यूब खान "बिस्मिल")** 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2014 at 11:31pm

आग़ाज़ मोहब्बत का था जब दर्द से भरा

लाज़िम मुझे सहना ही था अंजाम उम्र भर...........

वाह ! बहुत खूब !!

Comment by MAHIMA SHREE on January 7, 2014 at 7:49pm

आग़ाज़ मोहब्बत का था जब दर्द से भरा

लाज़िम मुझे सहना ही था अंजाम उम्र भर

बस एक तिरी ख्वाहिश में खोया वजूद तक

ये ज़िन्दगी भी रह गई बे-नाम उम्र भर..........वाह वाह क्या बात ... हार्दिक बधाईयाँ..

Comment by Ayub Khan "BismiL" on January 7, 2014 at 7:41pm

bahut bahut shukria Janaab Yograj sahab Arun Sahab Shijju Shakooor sahab Coontee sahiba Sarifa sahiba Giriraaj Sahab Ajay sahab Baidya sahab 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2014 at 12:07pm

//आग़ाज़ मोहब्बत का था जब दर्द से भरा
लाज़िम मुझे सहना ही था अंजाम उम्र भर//

क्या कहने हैं भाई बिस्मिल जी, यह शेअर खास हुआ है. इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद हाज़िर है.

Comment by Abhinav Arun on January 6, 2014 at 7:58pm
आग़ाज़ मोहब्बत का था जब दर्द से भरा

लाज़िम मुझे सहना ही था अंजाम उम्र भर


बस एक तिरी ख्वाहिश में खोया वजूद तक

ये ज़िन्दगी भी रह गई बे-नाम उम्र भर
..........बहुत खूब श्री बिस्मिल जी हार्दिक मुबारकबाद !! शानदार ग़ज़ल केलिए .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 6, 2014 at 7:54pm

बहुत सुदर गज़ल भाई बिस्मिल जी बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on January 6, 2014 at 5:36pm

बहुत सुदर गज़ल...बधाई आपको.

Comment by Sarita Bhatia on January 6, 2014 at 9:48am

उम्दा गजल के लिए बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 6, 2014 at 7:39am

आदरणीय बिस्मिल भाई , खूबसूरत ग़ज़ल कही है , आपको बहुत बधाइयाँ ॥

Comment by Saarthi Baidyanath on January 5, 2014 at 11:17pm

आग़ाज़ मोहब्बत का था जब दर्द से भरा

लाज़िम मुझे सहना ही था अंजाम उम्र भर

दिल की तिजारत दर्द से बिस्मिल किया किये

उल्फत में बस ये ही रहा एक ख़ाम उम्र भर......जिंदाबाद अशआर ...उम्दा ग़ज़ल ! कुछ टंकण की त्रुटी रह गई है ..सुधार लें ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
11 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
15 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service