For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुन्दर दृश्य उत्पन्न करती हैं

एक साथ जलती ढेरों मोमबत्तियाँ

 

भीड़ से घिरी उनकी रोशनी

कसमसाकर दम तोड़ देती है

 

वातावरण में घुले नारे

खंडहर में पैदा हुई अनुगूँज की तरह

कम्पन पैदा करते हैं

 

सर्द हवाएँ

काँटों की तरह चुभती हैं

 

अँधेरा गहराता जा रहा है 

___

बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 767

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on January 7, 2014 at 10:11pm

आदरणीय  अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, आदरणीय  शिज्जु शकूर जी, आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on January 7, 2014 at 10:10pm

आदरणीया महिमा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on January 7, 2014 at 10:09pm

आदरणीय अजय शर्मा जी आपका हार्दिक आभार! अपना आशीष यूँ ही बनाये रखियेगा!

Comment by बृजेश नीरज on January 7, 2014 at 10:08pm

आदरणीया कुंती जी आपका हार्दिक आभार!

कविताई आपकी किताब पढ़कर ही सीख रहा हूँ! आपकी जितनी किताबें पढनें को मिलती रहेंगी, मैं भी सीख-सीखकर लिखता रहूँगा! आपकी अगली किताब की प्रतीक्षा है!

सादर!

Comment by बृजेश नीरज on January 7, 2014 at 10:04pm

आदरणीय Shyam Narain Verma जी, गिरिराज भंडारी जी, Dr Ashutosh Mishra जी, आप सभी का हार्दिक आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on January 7, 2014 at 9:49pm

प्रतीकों में विरोध को रेखांकित करने का यह हुनर कहाँ से सीखा भाई................बेहतरीन..................बधाइयाँ.....................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 7, 2014 at 9:21pm

आदरणीय बृजेश जी आपने संक्षेप में लेकिन माहौल का सटीक वर्णन किया है बेहतरीन रचना बधाई स्वीकार करें

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 7, 2014 at 7:37pm

सुंदर रचना की बधाई बृजेश भाई॥ आजकल लाइव टेलीकास्ट होने से भी आंदोलन , विरोध प्रदर्शन  करने वालों में  एक  नया जोश भर जाता  है , कुछ देर के लिए ही सही ॥  

Comment by MAHIMA SHREE on January 7, 2014 at 7:30pm

एक अलग वातावरण में ले जाती रचना जहाँ सच की रौशनी तीव्र तो  होती है पर  कभी भी क्षीण होकर बुझ सकती है .... आदरणीय ब्रिजेश जी ... हार्दिक  बधाई आपको ...

Comment by ajay sharma on January 7, 2014 at 7:19pm

.......................................एक साथ जलती ढेरों मोमबत्तियाँ

 aur  fir .......................................अँधेरा गहराता जा रहा है  ...wah kya khoobsoorat virodhabhasi isthiti prastut ki hai ........shreshtha.............bahut bahut shubkamnayen  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service