For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐ खुदा मुझ को भी तेरी मेहरबानी चाहिए

ऐ खुदा मुझ को भी तेरी मेहरबानी चाहिए 
इक महकते गुल की जैसी ज़िंदगानी चाहिए 

मुझ को लंबी उम्र की हरगिज नहीं है आरज़ू 
जब तलक है जिंदगी ,मुझको जवानी चाहिए 

मैं समंदर तो नहीं जो उम्र भर ठहरा रहूँ 
एक दरया की तरह मुझ को रवानी चाहिए ...

परवरिश बच्चों की करना , फर्ज़ है माँ बाप का  

सच की हरदम राह भी उन को दिखानी चाहिए 

आज के अखबार का यह कह रहा है राशि फल 

आज मुझ को अपनी किस्मत आजमानी चाहिए 

मौलिक व अप्रकाशित.... 

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Agyat on April 9, 2014 at 7:23pm

सभी मित्रो का आभार .... 

Comment by वीनस केसरी on January 20, 2014 at 3:05am

मुझ को लंबी उम्र की हरगिज नहीं है आरज़ू 
जब तलक है जिंदगी ,मुझको जवानी चाहिए

:)))))) ज़नाब आपकी दुआ क़ुबूल हो जाय तो मज़ा आ जाए

बहरहाल ग़ज़ल के लिए ढेरो मुबारकबाद

Comment by विजय मिश्र on January 15, 2014 at 4:19pm
"परवरिश बच्चों की करना , फर्ज़ है माँ बाप का
सच की हरदम राह भी उन को दिखानी चाहिए | -बहुत सुंदर अजयजी
Comment by ram shiromani pathak on January 15, 2014 at 10:21am

सुन्दर ग़ज़ल हुई है। .   हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 15, 2014 at 12:48am

बहुत खूब भाईजी.

Comment by sarika choudhary on January 14, 2014 at 1:39pm

आज के अखबार का यह कह रहा है राशि फल 

आज मुझ को अपनी किस्मत आजमानी चाहिए

Comment by Sarita Bhatia on January 14, 2014 at 9:13am

bahut khubsurart ,badhai

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 13, 2014 at 11:12pm

मैं समंदर तो नहीं जो उम्र भर ठहरा रहूँ 
एक दरया की तरह मुझ को रवानी चाहिए ........वाह! बहुत कमाल का शेर

Comment by coontee mukerji on January 13, 2014 at 10:28pm

मैं समंदर तो नहीं जो उम्र भर ठहरा रहूँ 
एक दरया की तरह मुझ को रवानी चाहिए ......बहुत खूब.

Comment by नादिर ख़ान on January 13, 2014 at 1:20pm

मैं समंदर तो नहीं जो उम्र भर ठहरा रहूँ 
एक दरया की तरह मुझ को रवानी चाहिए ...

परवरिश बच्चों की करना , फर्ज़ है माँ बाप का  

सच की हरदम राह भी उन को दिखानी चाहिए 

आदरणीय अजय जी, उम्दा रवानगी लिए हुये शानदार गज़ल के लिए, बहुत बधाई ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
18 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
23 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service