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भ्रष्ट मंत्र है भ्रष्ट तंत्र है

इसे बदलना होगा

अब सत्ता के गलियारों में

हमें पहुंचना होगा

 

वीरों ने हुंकार भरी है

दुश्मन सभी दहल जाओ

भ्रष्टाचारी रिश्वतखोरों

तुम भी सुनो संभल जाओ

अपनी नीयत साफ़ करो अब

नहीं तो मरना होगा

 

वन्देमातरम के जयकारे

जनगणमन का गान करें

जहाँ कहीं भी हो आवश्यक

हम अपना बलिदान करें

देश के इन गद्दारों से अब

हमें निपटना होगा

 

बहुत हो चुकी अब मनमानी

बहुत हो गया भ्रष्टाचार

उठें बढ़ें हम कसें कमर को

देश को  है अब  यही पुकार

अपने अधिकारों को उनसे

हमें झपटना होगा

 

अब तक जिसका खून न उबला

खून नहीं वो पानी है

कदम मिलाकर जो चल देगा

सच्चा हिन्दुस्तानी है

बाकी लोगों को अपना

अस्तित्व परखना होगा

 

संजु शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित   

*यह गीत मैंने अन्ना आन्दोलन के समय लिखा था. आप सभी से मार्गदर्शन अपेक्षित है

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Comment by sanju shabdita on January 23, 2014 at 1:19pm

आदरणीय शिज्जू जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by sanju shabdita on January 23, 2014 at 1:17pm

आदरणीय अरुण जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by sanju shabdita on January 23, 2014 at 1:17pm

आदरणीय नीरज जी आपका हार्दिक आभार

Comment by Priyanka singh on January 22, 2014 at 9:54pm

बहुत खूब ....बधाई आपको ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2014 at 7:08pm

गीत का विषय आपने सामयिक चुना है जो आज की ज़रूरत भी है, शिल्प की बात हो चुकी हैl

इस खूबसूरत गीत के लिये बधाई स्वीकार करें 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 22, 2014 at 3:04pm

आदरणीया संजू जी देश को समर्पित ओजपूर्ण गीत रचा है आपने कहीं कहीं प्रवाह बाधित हो रहा है खैर इस गीत के जरिये आपने ललकार लगाई है. आपको बधाई.

Comment by Neeraj Neer on January 21, 2014 at 8:47pm

बहुत अच्छे ..

Comment by sanju shabdita on January 21, 2014 at 7:35pm

आदरणीया कल्पना दीदी प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद,प्रस्तुत रचना नवगीत नहीं बल्कि गीत है यह बताकर आपने मेरा भ्रम दूर कर दिया,इसके लिए आपका आभार व्यक्त करती हूँ . मात्राएँ संतुलित नहीं हैं ,जिसे मैं संतुलित करने का प्रयास करुँगी .महत्वपूर्ण मार्गदर्शन हेतु पुनः धन्यवाद .

Comment by sanju shabdita on January 21, 2014 at 7:27pm

आदरणीय श्याम जी रचना अनुमोदन के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by sanju shabdita on January 21, 2014 at 7:26pm

आदरणीय गिरिराज जी आपका हार्दिक आभार

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