For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हो गये जो निछावर वतन के लिए ,
याद करने की उनको घड़ी आ गयी ।
आज का दिन मनायें उन्हीं के लिए ,
कहने गणतंत्र कि नव सदी आ गयी ।

ये वीरों की धरती हमारा वतन ।
आकाश भी जिसको करता नमन ।
गाँधी नेहरू की जीवन कहानी है ये ।
नेता जी की तो सारी जवानी है ये ।

ऐसे आज़ाद भारत के वासी हैं हम ,
बात मन में यही फक्र की आ गयी ।

लाल हो जिनके कपड़े कफ़न हो गये ।
जो हिमालय कि हिम में दफ़न हो गये ।

मर के भी दुश्मनों को न बढ़ने दिया ।
खुद गिरे पर तिरंगा न गिरने दिया ।

खेद है उन शहीदों कि खातिर यहाँ ,
आज श्रद्धा में अपनी कमी आ गयी ।

देख कर दुश्मनो को यूँ आगे बढे ,
न परवाह कि ज़िन्दगी के लिए ।
प्राणों का मोह लेकर न पीछे हटे ,
जाँ लुटा दी हमारी ख़ुशी के लिए ।

राष्ट्र कि नवसदी के जो हकदार हैं ,
यादों पे उनकी ही धुंधली छा गयी ।

सुनके ये दास्ताँ मन कहीं खो गया ,
और तिरंगे को देखा फहरते हुये ।
फिर परेडे हुयीं और सलामी हुयी
देश भक्तों को भी पुष्प अर्पण किये ।

तो उमंगों कि दिल में लहर सी उठी ,
और आँखों में भी कुछ नमी छा गयी ।

मन में संकल्प था राष्ट्र का हित करें ।
उन शहीदों के जैसे जिए और मरें ।
भ्रष्ट सब ताकतों का मिटा दें निशाँ ।
अपनी आज़ादी रखें हमेशा जवाँ ।

याद संकल्प वो ही दिलाने हमें ,
आज फिर छब्बीस जनवरी आ गयी ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज 'प्रेम '

Views: 607

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 28, 2014 at 9:13am

गणतंत्र दिवस पर सुन्दर भावनाओं को शब्द दिए हैं 

बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on January 27, 2014 at 10:38pm

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Comment by Meena Pathak on January 27, 2014 at 9:45pm

मन में संकल्प था राष्ट्र का हित करें । 
उन शहीदों के जैसे जिए और मरें । 
भ्रष्ट सब ताकतों का मिटा दें निशाँ । 
अपनी आज़ादी रखें हमेशा जवाँ ।

याद संकल्प वो ही दिलाने हमें ,
आज फिर छब्बीस जनवरी आ गयी ।.............बहुत सुन्दर .. देश भक्ति के भावो से भरी हुई रचना | बधाई आप को 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 27, 2014 at 6:08pm

आदरणीय नीरज प्रेम भाई , देश भक्ति पूर्ण आपकी रचना के लिये आपको बहुत बधाई ॥

Comment by annapurna bajpai on January 27, 2014 at 5:56pm

बहुत बढ़िया देश भक्ति से ओट प्रोत , बधाई आपको । 

Comment by mohinichordia on January 26, 2014 at 2:19pm

खुद गिरे पर तिरंगा न गिरने दिया . फिर परेड हुई ......मन में संकल्प था राष्ट्र का हित करें उन् शहीदों के जैसे जियें और मारें .. . भ्रष्ट सब ताकतों का मिटा दें निशाँ  अपनी आज़ादी रखें हमेशा जवां ... बहुत खूब लिखा है नीरज प्रेम जी . हम सब संकल्प लें कि न

भ्रष्टाचार करेंगे न करने देंगे तो एक दिन अवश्य ही  हमारे शहीदों की कुर्बानी  जो उन्होंने देश हित के लिये दी थी देश निर्माण  का आधार बन सकेगी  |  हम सही  में आज़ादी का जश्न मना सकेंगे  |बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
9 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
21 hours ago
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service