For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं -- शशि पुरवार

क्षणिकाएं --


प्रतिभा --

नहीं रोक सके,
काले बादल
उगते सूरज की किरणें।


सपने --

तपते हुए रेगिस्तान
की बालू में चमकता हुआ
पानी का स्त्रोत, औ
जीने की प्यास.


आशा -

पतझड़ के मौसम में
बसंत के आगमन का
सन्देश देती है,
कोमल प्रस्फुटित पत्तियां।


संस्कार -

रोपे हुए वृक्ष में
मिलायी गयी खाद,
औ खिले हुए पुष्प।


पीढ़ी -

बीत गयी सदियाँ
नही मिट सकी दूरियाँ,
अनवरत चलता हुआ
एक लम्बा रास्ता।


मित्रता -

जीवन के सफ़र में
महकता हुआ
हरसिंगार।
-- शशि पुरवार

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 734

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shashi purwar on February 6, 2014 at 3:17pm

aap sabhi mitro ka tahe dil se abhaar ,

saurabh ji , prachi ji aapke sujhavo ka swagat hai :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2014 at 10:45pm

सर्वप्रथम इन्हें क्षणिकायें न कहें.  ये तो, समझिये, संज्ञाओं की भावुक परिभाषाएँ दी हैं आपने.

यह अवश्य है बिम्बों में नवीनता उचित होती. 

फिरभी , आपका प्रयास गंभीर व रोचक लगा है.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 3, 2014 at 12:52pm

सुन्दर क्षणिकाएं प्रस्तुत की हैं प्रिय शशि पुरवार जी 

फिर भी सब पहचाने से बिम्ब लगे, कुछ नव्य बिम्ब भी होते तो रचनात्मकता के साथ और ज्यादा मज़ा आता... 

इस प्रयास के लिए ह्रदय से शुभकामनाएं 

Comment by ram shiromani pathak on February 3, 2014 at 12:11pm

सुन्दर क्षणिकाएं ......आपको हार्दिक बधाई!

Comment by बृजेश नीरज on February 2, 2014 at 10:15pm

अच्छी क्षणिकाएँ! आपको हार्दिक बधाई!

क्षणिकाओं में 'और' के स्थान पर 'औ' का प्रयोग क्या आवश्यक है! 

Comment by coontee mukerji on February 2, 2014 at 4:52pm


पीढ़ी -

बीत गयी सदियाँ
नही मिट सकी दूरियाँ,
अनवरत चलता हुआ
एक लम्बा रास्ता।.........बहुत सुंदर.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 2, 2014 at 9:33am

आदरणीया शशि जी, सभी क्षणिकाएं सुंदर व् सार्थक है हार्दिक बधाई आपको

Comment by vandana on February 1, 2014 at 9:48pm

बहुत सुन्दर सार्थक रचनाएँ आदरणीया 

Comment by annapurna bajpai on February 1, 2014 at 7:57pm

सुंदर क्षणिकाएं बधाई आपको आ0 शशि जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2014 at 6:51pm

आदरणीया शशि जी , सभी क्षणिकायें सुन्दर हैं , आपको बहुत बधाइयाँ ॥

मित्रता - जीवन के सफ़र में
महकता हुआ
हरसिंगार। -------------  बहुत खूब ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
18 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
19 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
23 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service