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चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं
हसरतें तेरी ही इन निगाहों में हैं
कुर्बतें वो तबस्सुम तेरी शोखियाँ
बस यही साअतें मेरी यादों में हैं
अपने आँचल से तूने हवा दी जिन्हें
वो शरारे हरिक सिम्त राहों में हैं
जो सिवा अपने सोचें किसी और की
अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं
कुछ खबर ले कोई आके इनकी ज़रा
कितनी बेचैनियाँ ग़म के मारों में हैं
साअत= क्षण, पल, लम्हा
अज़्मत= महानता
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय शिज्जू भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , आपको तहे दिल से बधाइयाँ ॥
जो सिवा अपने सोचें किसी और की
अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं -------- ये शे र बहुत सुन्दर लगा भाई जी , आपको ढेरों बधाई ॥
जो सिवा अपने सोचें किसी और की
अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं
आदरणीय शिज्जू जी, बेहतरीन गजल पर दाद कुबूल कीजिये यह शेर खूब पसंद आया, कठिन शब्दों के अर्थ बताने से हम पाठकों को बहुत आसानी हो जाती है,शुक्रिया
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपका आभार
भाई बैद्यनाथ सारथी जी तारीफ के लिये आपका शुक्रिया
आदरणीय डॉ आशुतोष जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपके सुझाव का मैं सदैव ध्यान रखूँगा
आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय शिज्जू भाई इस बेहतरीन ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधायी.
बहुत ही बेहतरीन शुरुआत हुई है ग़ज़ल की
चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं
हसरतें तेरी ही इन निगाहों में हैं........सुन्दर अशआर हैं सारे के सारे ! दिली मुबारकबाद !
आदरणीय शिज्जू जी ..आपकी इस बेहतरीन ग़ज़ल पर आपको हार्दिक बधायी ..
जो सिवा अपने सोचें किसी और की
अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं बैसे तो हर शेर मुझे बेहद भाया ..लेकिन ये शेर मुझे खास पसंद आया ..एक निवेदन आजकल आप उर्दू का उपयोग खूब कर रहे हैं इसलिए उर्दू की जानकारी और चुनिन्दा शाब्द मिलते है ..आप सभी का अर्थ लिख दिया कीजिये तो समझने और सीखना का मौका एक ही प्लातेफ़ोर्म पर मिल जाएगा ..पुन बधाई के साथ सादर
सुंदर गजल बधाई आपको आ0 शिजू जी ।
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