मनुज रूप इंग्लैंड गये थे, वहाँ पहुँच “ डंकी ” कहलाय।
घुटने टेके, सिर भी झुकाय, गुलाम जैसा खेल दिखाय।
जब उपाधि डंकी की पाये, सब बेशर्मों सा मुस्काय।
वह रे क्रिकेटर हिन्दुस्तानी, अपनी इज़्ज़त खुद ही गवांय।
आस्ट्रेलिया में हाल खराब, सभी मैंच में हमें हराय।
अरबों रुपय कमाने वालों, दो कौड़ी का खेल दिखाय।
अफ्रीका में मैच भी हारे, उस पर हाथ पैर तुड़वाय।
खेल दिखाये बच्चों जैसा , रोते गाते वापस आय।
देखिये अब न्यूज़ीलैंड में, क्रिकेटर कैसे गुल खिलाय।
दहाड़ते थे शेरों जैसे , कूकर जैसा पूँछ दबाय। ......................... कूकर - कुत्ते
कितनी पार्टी और उत्सव में, कन्याओं संग कमर हिलाय।
अब उसका परिणाम देख लो , नचकरहों सा खेल दिखाय।.. ....... नचकरहों सा = (सड़कछाप) नाचने वालों जैसा
गुटबाज़ी औ राजनीति से, खेल का सत्यानाश कराय।
धराशायी हर बार हुए हो, जितनी बार अकड़ दिखलाय।
विश्व विजेता कहलाते हो, एक मैच भी जीत न पाय।
नाक कटाकर जान बचाये, लौट के बुद्धू घर को आय।
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मौलिक एवं अप्रकाशित
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव
विवेकानंदनगर मार्ग – 3
धमतरी (छत्तीसगढ़)
Comment
ईश्वर केलिए किसी छंद या विधा विशॆष के आधार पर लिखने के पहले उस विधान की तनिक जानकारी ले लेना जरूरी समझियेगा, आदरणीय.
सादर
आदरणीया प्राचीजी,
हार्दिक धन्यवाद , आपकी टिप्पणी से उत्साहवर्धन हुआ । निकट भविष्य में फिर कोई ज्वलंत विषय लेकर आल्हा छंद लिखने का उत्साह प्रबल हुआ है॥
सामयिक विषय ले कर आल्हा छंद पर प्रयास के लिए शुभकामनाएँ आ० अखिलेश जी
आदरणीय विजय भाईजी,
आपके विचारों से सहमत हूँ । क्रिकेट और क्रिकेटर दोनों किसी न किसी रूप में देश को बर्बाद करने पर तुले हैं इसमें राजनीति भी पूरी तरह घुस गई है। फिल्म टीवी फेस बुक के बाद क्रिकेट ही है जो युवा पीढ़ी को भ्रमित करता है । उस डंकी टीम में सचिन भी था । इंग्लैण्ड द्वारा माफी न माँगने पर सचिन और पूरी टीम को उसी दिन लौट आना था पर " वह रे क्रिकेटर हिन्दुस्तानी " । पाँच सात साल के बच्चे में भी देश के प्रति सम्मान की भावना जगाने वाली भारत सरकार भी चुप बैठ गई । और ध्यांनचंद की उपेक्षा कर आज ' भारत रत्न " की उपाधि भी दे दी गई । रचना भी इसी उद्देश्य से लिखी गई है कि पाठकों को कुछ जानकारी मिल सके॥
. सादर ।
आदरणीय, आप इसी मंच के भारतीय छंद विधान समूह में उपलब्ध आलेख देखिये न ! छंद-विधान के लेखकों को भी आत्मतोष होगा कि आलेख प्रस्तुत करना सार्थक हुआ. वहाँ आप जैसे रचाकर्मियों के व्यावहारिक सुझाव व उचित टिप्पणियाँ भी मिलेंगीं.
सादर
आदरणीय सौरभ भाईजी,
उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद । तीसरे पाँचवे में कहीं गेयता बाधक है लेकिन उचित शब्द बिठा नहीं पाया । आपसे अनुरोध है कि न्यूजीलैण्ड आस्ट्रेलिया वाली पंक्तियों में गेयता की दृष्टि से उचित संशोधन करते हुए आल्हा छंद के आवश्यक नियम बताने की कृपा करें तो हम सबका ज्ञानवर्धन होगा ॥
......... सादर्
प्रिय छोटे भाई,
रचना पसंद आई, हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय रामजी,
उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद । तीसरे पाँचवे में कहीं गेयता बाधक है लेकिन उचित शब्द बिठा नहीं पाया ।
बहुत मेहनत की आपने, आदरणीय. हार्दिक शुभकामनाएँ..
वैसे आल्हा छंद के विधान को पढ़ लेना उचित होता. कई पदों में छंद विधान का उल्लंघन हुआ है.
सादर
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