घूमूँगा बस प्यार तुम्हारा
तन मन पर पहने
पड़े रहेंगे बंद कहीं पर
शादी के गहने
चिल्लाते हैं गाजे बाजे
चीख रहे हैं बम
जेनरेटर करता है बक बक
नाच रही है रम
गली मुहल्ले मजबूरी में
लगे शोर सहने
सब को खुश रखने की खातिर
नींद चैन त्यागे
देहरी, आँगन, छत, कमरे सब
लगातार जागे
कौन रुकेगा दो दिन इनसे
सुख दुख की कहने
शालिग्राम जी सर पर बैठे
पैरों पड़ी महावर
दोनों ही उत्सव की शोभा
फिर क्यूँ इतना अंतर
मैं खुश हूँ, यूँ ही आँखो से
दर्द लगा बहने
--------
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
बहुत ही सुंदर दस नवगीत पर बधाई
सुन्दर नवगीत आदरणीय! आपको हार्दिक बधाई!
सुन्दर नव विषय पर नवगीत बहुत बढ़िया धर्मेन्द्र जी बधाई आपको
बहुत गहरी बात कही है.....
शालिग्राम जी सर पर बैठे
पैरों पड़ी महावर
दोनों ही उत्सव की शोभा
फिर क्यूँ इतना अंतर.....आपको हार्दिक बधाई.
आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , सुन्दर नवगीत के लिये बधाई ॥
नव गीत ...............और वो भी नए अंदाज में........अच्छा लगा.................
बहुत सुंदर रचना , कितनी सच है ये बात ' सब को खुश रखने की खातिर नींद चैन त्यागे देहरी , आँगन , छत , कमरे सब लगातार जागे ' खास कर जगहों पर जहां गेस्ट हाउस आस पास बने है । बधाई आपको
सब को खुश रखने की खातिर
नींद चैन त्यागे
देहरी, आँगन, छत, कमरे सब
लगातार जागे
कौन रुकेगा दो दिन इनसे
सुख दुख की कहने.....गूढ भावों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आदरणीय धर्मेन्द्र जी, इस नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online