इशारों से दिल का, जलाना तेरा
अजब! हुस्नवाले, बहाना तेरा /१
हमें क्या फ़िकर, ग़र जमाना कहे
दीवाना- दीवाना, दीवाना तेरा /२
हुआ जब से रिश्ता, हयाई बढ़ी
यूँ साड़ी पहन के, लजाना तेरा /३
अभी तो जवां हूँ, है गुंजाइशें
जिगर पे उठा लूँ, निशाना तेरा /४
न नासाज कर दे, कहीं आपको
सनम सर्दियों में, नहाना तेरा /५
बड़प्पन कहीं से, दिखे तो कहूँ
सुना तो, बड़ा है घराना तेरा /६
ये तेवर, ये अंदाज़, आसां नहीं
ग़ज़ल, 'सारथी' जी सुनाना तेरा /७
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अरकान: १२२१ २२१२ २१२
सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बड़प्पन कहीं से, दिखे तो कहूँ
सुना तो, बड़ा है घराना तेरा .. . .इस शेर पर बहुत सारा वज़्न है.
कई शेर मोहक लगे हैं
इस कोशिश के लिए हार्दिक बधाई.. .
आदरणीय Neeraj Kumar 'Neer' जी , नमन स्वीकार करें !..बहुत बहुत धन्यवाद ! स्नेह देते रहिएगा !
जनाब शिज्जु शकूर साहब, आपकी इनायतों का शुक्रगुजार हूँ ! शुक्रिया बहुत बहुत ....!
बहुत सुन्दर ग़ज़ल ..
भाई सारथी जी अच्छी ग़ज़ल कही है आपने बहुत बहुत बधाई आपको
मान्यवर गिरिराज भंडारी जी , आप बिल्कुल वाजिब फरमा रहे हैं ..! मैं इसे अतिशीघ्र सुधार कर लूँगा ! आपके इस अमूल्य मार्गदर्शन हेतु कोटिशः आभार व नमन ! श्रीमान, दीवाना लिखने से ग़ज़ल मान्य तो होगा न ? स्नेह देते रहिएगा ! विनीत !
आदरणीय laxman dhami साहब , दिली शुक्रगुजार हूँ जो नाचीज की ग़ज़ल पसंद आई ! सादर नमन सहित :)
आदरणीय ram shiromani pathak जी , बहुत मेहरबानी आपकी ! सादर अभिनन्दन आपका !
आदरनीय भाई वैद्य नाथ जी, बहुत खूबसूरत गज़ल कही है, हार्दिक बधाइयाँ. भाई गिरिराज जी की सलाह पर जरूर विचार करें .
आदरनीय वैद्य नाथ भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल कही है , सभी अशआर सुन्दर हैं ॥ आपको दिली बधाइयाँ ॥ बस दिवाना खटक रहा है , सही शब्द दीवाना है , और वो भी तीन बार , थोड़ा सोच के देखियेगा ॥
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