2122 2122 212 ( पूरा )
इस फ़िज़ा के शोख नज़्ज़ारे भी देख
बाग मे पानी के फौव्वारे भी देख
सिर्फ सूखे तू शज़र देखा न कर
हो रहे पत्ते हरे सारे भी देख
तू अमा में चाँद खातिर , ज़िद न कर
आ कभी आकाश में तारे भी देख
सिर्फ भारी रह सकूँ , ये सोच मत
कैसे उड़ते, हलके गुब्बारे भी देख
चन्द हँसती सूरतों से खुश न हो
देख आँसू , दर्द के मारे भी देख
जीत से कोई नही सीखा कभी
ज़िन्दगी से हम कहाँ हारे ,भी देख
लफ़्ज़ कब जज़्बात को पूरे पड़े ?
भीगती आँखों में अंगारे भी देख
********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीया राजेश कुमारी जी , फौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
आदरणीय आशीष भाई , ग़ज़ल की तारीफ कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका आभारी हूँ ॥
आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
चन्द हँसती सूरतों से खुश न हो
देख आँसू , दर्द के मारे भी देख----शानदार वाह्ह
जीत से कोई नही सीखा कभी
ज़िन्दगी से हम कहाँ हारे ,भी देख-----बेहतरीन वाह्ह्ह
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है आ. गिरिराज जी तहे दिल से दाद कबूलें
सिर्फ भारी रह सकूँ , ये सोच मत
कैसे उड़ते, हलके गुब्बारे भी देख | बहुत खूब !!
चन्द हँसती सूरतों से खुश न हो
देख आँसू , दर्द के मारे भी देख | वाह !!
बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय गिरिराज जी !!
आदरणीय भाई गिरिराज जी बहुत उम्दा ग़ज़ल कही , इन असआरों के लिए विशेष बधाई
सिर्फ सूखे तू शज़र देखा न कर
हो रहे पत्ते हरे सारे भी देख
लफ़्ज़ कब जज़्बात को पूरे पड़े ?
भीगती आँखों में अंगारे भी देख
आदरणीय राम शिरोमणी भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ
आदरणीय शिज्जू भाई , ग़ज़ल को आपकी सराहना मिली , बड़ी खुशी हुई , आपका हार्दिक आभार ॥
आदरणीय अनिल भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आप्का हार्दिक आभार ॥
ज़ोरदार ग़ज़ल आदरणीय … बहुत बहुत बधाई आपको
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online