For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल – यही वो हुक्मरां हैं जो कभी बस्तर नहीं आते !

ग़ज़ल –

मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन

१२२२    १२२२    १२२२    १२२२

 

है गांवों में भी विद्यालय जहां अक्सर नहीं आते |

कभी बच्चे नहीं आते कभी टीचर नहीं आते |

 

अँधेरी कोठरी है चॉक और डस्टर नहीं आते |

उजाले साथ ले आयें वही अक्षर नहीं आते |

 

सुनो इस गाँव की बिजली सड़क सब फ़ाइलों में हैं ,

शहर से जांच करने को कभी अफ़सर नहीं आते |

 

हमीं चमकाते हैं गुजरात राजस्थान दिल्ली सब ,

उजाले पर हमारे घर कभी क्यों कर नहीं आते |

 

फफोले हैं करप्शन के उन्हें भी इल्म है इसका ,

न जाने क्यों भला बनकर कभी नश्तर नहीं आते |

 

ये मोटर मिल मकाँ बाज़ार दफ्तर मॉल और होटल ,

इन्हीं पिंजरों में रहते हैं कभी हम घर नहीं आते |

                   

बहुत तेज़ी से उड़ने में अदब का घोसला टूटा ,

ख़ुदा ! तहज़ीब से पहले ही इनके पर नहीं आते |

 

ये दिल्ली में रहे दिल्ली को भारतवर्ष कहते हैं ,

यही वो हुक्मरां हैं जो कभी बस्तर नहीं आते |

 

अगर ईमान की खाते न होता खौफ़ छापों का ,

सुकूं की नींद आती ख़ाब में लॉकर नहीं आते |

 

उन्हें इतनी ज़ियादा है कि छत पर यान रखते हैं ,

हमें इतनी कमी है बच्चों के वाकर नहीं आते |

 

हमारे पांव के छाले बड़े ही सख्त हालत हैं ,

हमारी राह में भूले से भी पत्थर नहीं आते |

 

यकीं ख़ुद पर अगर है तो किसी की ओट क्या लेना ,

जो तीरंदाज़ होते हैं कभी छिपकर नहीं आते |

*मौलिक \ अप्रकाशित .

- अbhinav अrun

 [१८०२२०१४]

 

Views: 832

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on March 9, 2014 at 1:56am
आदरणीय अग्रज श्री आभार और नमन वंदन !

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 2:53am

ये होती है कहन और ऐसे होता है आज की विसंगतियों का बखान.. .

इस ज़िन्दबाद ग़ज़ल के लिए ढेर सारी बधाइयाँ,भाई अरुणजी. 

शुभेच्छाएँ.

Comment by Abhinav Arun on February 24, 2014 at 10:32pm

आभार डॉ साहिबा अरसे बाद आपका प्रोत्साहन पा हर्षित हूँ ,,धन्यवाद !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 24, 2014 at 9:25pm

आदरणीय अभिनव अरुण जी 

किस एक शेर की ख़ास तारीफ करूँ 

ग़ज़ल की तासीर और हर अशआर दहाड़ रहा है 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by Abhinav Arun on February 24, 2014 at 4:48am

आप सबकी सलाह पर ग़ज़ल संशोधन के बाद पुनः प्रेषित है , सादर !!

Comment by Abhinav Arun on February 24, 2014 at 4:47am

आभार नादिर साहब आपका प्रोत्साहन और बेहतर कहने को प्रेरित करेगा , 

Comment by नादिर ख़ान on February 23, 2014 at 11:01pm

वाह आदरणीय अभिनव जी, बहुत ही उम्दा गज़ल,सभी  शेर आव्हान करते हुये  और सच की परतें खोलते हुये  ...

Comment by Abhinav Arun on February 19, 2014 at 7:51am

शुक्रिया आदरणीया वंदना जी \ आदरणीय आशीष जी ,मनमोहन जी , शिज्जू जी , गिरिराज जी ,अरुण आभार आप सबका !!

Comment by vandana on February 19, 2014 at 5:53am

हमारे पांव के छाले बड़े ही सख्त हालत हैं ,

हमारी राह में भूले से भी ठोकर नहीं आते |

 

यकीं ख़ुद पर अगर है तो किसी की ओट क्या लेना ,

जो तीरंदाज़ होते हैं कभी छिपकर नहीं आते |

शानदार ग़ज़ल है आदरणीय बहुत२ बधाई 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 19, 2014 at 1:09am

ये मोटर मिल मकाँ बाज़ार दफ्तर मॉल और होटल ,

इन्हीं पिंजरों में रहते हैं कभी हम घर नहीं आते |   वाह वाह वाह !!

क्या शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय | मतला ही जबर्दस्त है |
बहुत-बहुत मुबारकबाद !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत खेद है पहली बार ये गलती हुई मुझसे सादर एक कोशिश की है__ सादर चोट पहले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुधार और बेहतरी की पुनः कोशिश करूंगी सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छे मतले के साथ ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुनीजनों की टिप्पणी…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। सुझाव के बाद अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में गिरह का शेर रह गया। "
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई। "
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service