For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222/1222/1222/1222

अरे नादान ये मय है जिगर को ये जला ही दे

मेरे इस दर्दे दिल के वास्ते कोई दवा ही दे

 

कभी जब खींच ले जाये समंदर साथ अपने तो

गुज़रती मौज कश्ती को किनारे पर लगा ही दे

 

तेरी आँखों में मेरे दर्द की तासीर है शायद       (तासीर= असर)

उदासी भी तेरी इस बात की पैहम गवाही दे      (पैहम= लगातार)

 

इरादों को किया मजबूत तेरे पत्थरों ने ही

तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे

 

बचूँगा कब तलक तेरी निगाहों से कहीं छुपकर

चलाना है तुझे जो तीर शब्दों के चला ही दे

 

यही दिन-रात उलझन है सताये डर मेरा मुझको

छुपाता हूँ ज़माने से खता सबको बता ही दे

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 673

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 24, 2014 at 9:06pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर  संशोधन कर दिया है l  स्नेह यूँ ही बनाये रखें

सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 2:40am

मैं तो मतले पर रुक गया. कई शेर इस ग़ज़ल को कामयाब कर रहे हैं, शिज्जू भाईजी. 

तेरी आँखों में मेरे दर्द की तासीर है शायद वाले शेर को पुनः देख लें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 4, 2014 at 8:44am

आदरणीय विजय सर, आदरणीय बृजेश भैया, आदरणीय पवनजी, आदरणीय डॉ आशुतोष सर, एवं
आदरणीया डॉ प्राची जी रचना की सराहना के लिये आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 24, 2014 at 9:11pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है आ० शिज्जू जी 

बहुत बहुत बधाई 

इरादों को किया मजबूत तेरे पत्थरों ने ही

तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे...............वाह !

तेरी आँखों में मेरे दर्द की तासीर है शायद         

बरसते अश्क़ भी इस बात की पैहम गवाही दे ............इसमें शायद वचन दोष बन रहा है. देख लें 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 21, 2014 at 2:28pm

आदरणीय शिज्जू जी ..बहुत ही सुंदर ग़ज़ल है ..V

इरादों को किया मजबूत तेरे पत्थरों ने ही

तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे..इस शेर के लिए बिशेष रूप से बढ़ाई स्वीकार करें ..सादर 

Comment by pawan amba on February 21, 2014 at 5:47am

तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे...........वाह! क्या बात है  एक अच्छी रचना सादगी भरे शब्दो से सजी 

Comment by बृजेश नीरज on February 20, 2014 at 7:11pm

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!

Comment by vijay nikore on February 20, 2014 at 11:27am

शिज्जु जी, इस अच्छी गज़ल के लिए आपको बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 20, 2014 at 9:22am

आदरणीया शशिजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 20, 2014 at 9:21am

भाई जितेन्द्रजी हौसलाअफ़्ज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
18 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service