For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ कह-मुकरियाँ ..............डॉ० प्राची

क़दमों में दे बहकी थिरकन

महकी नम सी चंचल सिहरन  

बाँहों भर ले, रच कर साजिश 

क्या सखि साजन? न सखि बारिश 

हर पल उसने साथ निभाया 

संग चले बन कर हम साया 

रंग रसिक नें उमर लजाई 

क्या सखि साजन? न सखि डाई

चाहे मीठे चाहे खारे 

राज़ पता हैं उसको सारे 

खोल न डाले राज़, हाय री ! 

क्या सखि साजन? न सखि डायरी 

उसने सारे बंध सँजोए

अंक समेटे प्रेम पिरोए 

ज़िंदा है यादों से हरदम 

क्या सखि साजन? न सखि एल्बम 

आँसू देखे, झट गल जाए 

रख लूँ उसको नयन बसाए 

रूप निखारे कंचन कंचन 

क्या सखि साजन? न सखि अंजन 

 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1236

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on February 22, 2014 at 4:05pm
शानदार रचना आदरणीया बहुत२ बधाई ............................
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 22, 2014 at 11:28am

सुन्दर भाव रचित कह्मुकरिया रचना के लिए हार्दिक बधाई डॉ प्राची सिंह जी | सादर 

Comment by Neeraj Neer on February 22, 2014 at 9:00am

बहुत ही सुन्दर मुकरियां ... बहुत बधाई .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 22, 2014 at 8:58am

बहुत सुंदर कह-मुकरियां , हार्दिक बधाई आपको आदरणीया डा.प्राची जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 21, 2014 at 10:55pm

आदरणीय अरुण निगम जी 

इन कह मुकरियों पर आपकी दृष्टि के लिए आपकी सादर आभारी हूँ..

बाँहों में टंकण त्रुटि बताने के लिए धन्यवाद ..

साजिश और बारिश का तुक मुझे तो बिलकुल सही लगा हाँ गहरी और डायरी में सम्तुकान्तता होने के बावजूद भी गेयता अलग ज़रूर है क्योंकि एक चौकल है और एक पंचकल शब्द... गहरी का उच्चारण २२ और डायरी का २१२ हो रहा है.

उस मुकरी में परिवर्तन कर दिया है , कृपया देखे और अपनी राय से अवगत कराएं

सादर.

Comment by कल्पना रामानी on February 21, 2014 at 10:07pm

वाह, वाह!! कमाल कर दिया आपने आदरणीया प्राची जी। बहुत बहुत बधाई आपको। गहरी और डायरी का समांत मुझे भी समझ में नहीं आया। और आदरणीय अरुण  निगम जी ने बारिश/साजिश पर भी शंका प्रगट की है, यहाँ इस प्रकार की समांतता तो हर छंद में है, इस पर भी वरिष्ठ विद्वानों की राय जानना चाहूंगी।

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 21, 2014 at 9:20pm

आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी सादर, बहुत सुन्दर कह-मुकरी छंद रहे हैं. सादर बधाई स्वीकारें. किन्तु गहरी और डायरी में लय की समानता नहीं आ रही है.सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on February 21, 2014 at 9:08pm

आदरणीया , संतुलित व सुगढ़ कह-मुकरियाँ।

बाहों का शुद्ध रूप "बाँहों" ................देख लें

साजिश और बारिश / गहरी और डायरी का तुकांत क्या मान्य होगा ?

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 21, 2014 at 7:46pm

आपके अनुमोदन से रचना पर आपकी उपस्थिति का पता चला... समय देने के लिए सादर आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 21, 2014 at 7:40pm

आदरणीया प्राची जी , लाजवाब कह मुकरियों के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
10 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
11 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
12 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
12 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अति सुंदर ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service