For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ कह मुकरियां

१. लगे अंग तो तन महकाए,

जी  भर देखूं  जी में आये,

कभी कभी पर  चुभाये शूल,

का सखी साजन ? ना सखी फूल.

 

 

२. गोदी में सर रख कर सोऊँ,

मीठे मीठे ख्वाब में खोऊँ,

अंक में लूँ, लगाऊं छतिया.

का सखी साजन? ना सखी तकिया .

 

 

३ उससे डर, हर कोई भागे,

बार बार वह लिख कर माँगे.

कहे देकर फिर करो रिलैक्स.

का सखी साजन? ना सखी टैक्स ..

 

४. गाँठ खुले तो इत उत डोले,

जिधर हवा उधर ही हो  होले,

कोई नियत ना कोई ठांव,

का सखी साजन ? ना सखी नाँव.

 

५. गोद बिठा कर जगत  घुमाये ,

तरह तरह के दृश्य दिखाए, 

बिना उर्जा के रहे बेकार,

का सखी साजन ? ना सखी कार.

नीरज कुमार नीर 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 910

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on March 9, 2014 at 7:38pm

चौथी मुकरी की तीसरी पंक्ति को यूँ पढ़ें : 

जिधर हवा हो उधर ही होले 

edit करने में मैंने गड़बड़ कर दी .

Comment by Neeraj Neer on March 9, 2014 at 7:32pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया  डॉ प्राची सिंह साहिबा . आपको  कह मुकरियां अच्छी लगी मेरा प्रयास सार्थक हुआ . चौथी कह मुकरी में शब्द आगे पीछे थे उन्हें मैंने सुधार लिया है .. तीसरी कह मुकरी को कुछ ऐसा किया है 

उससे डर, हर कोई भागे,

वो मेरे पीछे, मैं आगे 

कहे देकर फिर करो रिलैक्स..  

का सखी साजन? ना सखी टैक्स..

पांचवीं कह मुकरी को निम्नवत कर दिया : 

गोद बिठा कर जगत  घुमाये ,

तरह तरह के दृश्य दिखाए, 

बिना शक्ति  के रहे बेकार,

का सखी साजन ? ना सखी कार

..... आपका सादर आभार .. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 6, 2014 at 12:44pm

आपकी गंभीर अतुकांत रचनाओं को देखने के बाद आपको कहमुकरी जैसी चुलबुली विधा पर कलम आजमाईश करते देखना बहुत सुखद लग रहा है

कार नाँव तकिया टैक्स और फूल को आधार बना  कहमुकरियों पर सुन्दर प्रयास हुआ है, मेरे हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित हैं 

तीसरी कहमुकरी में भागे और माँगे के तुक मिलान के साथ ही तीसरी पंक्ति की मात्रिकता को एक बार पुनः देखें 

चौथी कह्मुकरी की दूसरी पंक्ति में भी शब्दों को कुछ आगेपीछे किये जाने की आवश्यकता लगी 

पांचवी कह्मुकरी की तीसरी पंक्ति में भी मात्रा बढ़ रही है, देख लीजियेगा 

सार्थक प्रयास बना रहे, यही शुभकामनाएं हैं 

सादर.

 

Comment by Neeraj Neer on March 5, 2014 at 8:45am

आपका हार्दिक आभार आ. माहेश्वरी कनेरी जी ...

Comment by Maheshwari Kaneri on March 4, 2014 at 4:56pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई
Comment by Neeraj Neer on March 4, 2014 at 12:42pm

aapka haardik aabhar aadarniya Laxman Prasad ladiwala ji. 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 4, 2014 at 9:50am

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई 

Comment by Neeraj Neer on March 3, 2014 at 7:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे साहब ..

Comment by vijay nikore on March 3, 2014 at 10:40am

अति सुन्दर और मनोहारी प्रस्तुति। बधाई।

Comment by Neeraj Neer on March 3, 2014 at 9:19am

हार्दिक आभार आ. अनिल कुमार अलीन जी .. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
10 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service