For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - हमें ही वोट दो कहकर वो पास आने लगे - इमरान

जो पाँच साल दहाड़े थे गिड़गिड़ाने लगे,
हमें ही वोट दो कहकर करीब आने लगे।

तुम्हारी ज़ात के नेता हैं हम तुम्हारे हैं,
ग़रीबों को ये बताकर गले लगाने लगे।

तुम्हारा हाल बदल देंगे एक मौका दो,
गली गली उसी ढपली को फिर बजाने लगे।

जो भीड़ आई है रैली में, है किराये की,
वो जिसके ज़ोर पे क़द को बड़ा दिखाने लगे।

बहा के ख़ून के दरिया सभी सियासतदां,
हर एक ख़ून के क़तरे से फ़ैज़ उठाने लगे।

ये देस लूट रहे हैं हमारे नेता जी,
जिसे आज़ाद कराने में थे ज़माने लगे।

हमारा मुल्क अभी भी जहाँ से बेहतर है,
जो लूट की है सियासत अगर ठिकाने लगे।


"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by इमरान खान on March 13, 2014 at 10:29pm

सरिता भाटिया जी आपका धन्यवाद.

Comment by इमरान खान on March 13, 2014 at 10:28pm

जनाब अखिलेश कृष्ण साहब बहुत बहुत शुक्रिया.

Comment by इमरान खान on March 13, 2014 at 10:28pm

जनाब गिरिराज भाई आपको मेरी कोशिश पसंद आई शुक्रगुज़ार हूँ मैं आपका .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 13, 2014 at 9:20pm

हमारा मुल्क अभी भी जहाँ से बेहतर है,
जो लूट की है सियासत अगर ठिकाने लगे।............वाह! बहुत खूब

आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय इमरान जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2014 at 11:08am

जनाब इमरान भाई अच्छी ग़ज़ल है, सारे अशआर अच्छे हुये हैं बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Sarita Bhatia on March 13, 2014 at 10:39am

क्या बात इमरान भाई लाजवाब गजल सटीक 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 12, 2014 at 10:12pm

 आदरणीय इमरान भाई ,

मतलबिया नेताओं की पोल खोलती अच्छी रचना, हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 12, 2014 at 9:53pm

आ. इमरान भाई , लाजवाब सामयिक ग़ज़ल कही है , आपको तहे दिल दे बधाइयाँ ॥

हमारा मुल्क अभी भी जहाँ से बेहतर है,
जो लूट की है सियासत अगर ठिकाने लगे -------- बहुत खूब , भाई बहुत बधाइयाँ ॥

Comment by इमरान खान on March 12, 2014 at 10:08am

धन्यवाद ओमप्रकाश जी.

Comment by Omprakash Kshatriya on March 12, 2014 at 7:31am

इमरान जी आप ने रचना में पूरी राजनीति का खाका खीच दिया . बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service