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ग़ज़ल - हमें ही वोट दो कहकर वो पास आने लगे - इमरान

जो पाँच साल दहाड़े थे गिड़गिड़ाने लगे,
हमें ही वोट दो कहकर करीब आने लगे।

तुम्हारी ज़ात के नेता हैं हम तुम्हारे हैं,
ग़रीबों को ये बताकर गले लगाने लगे।

तुम्हारा हाल बदल देंगे एक मौका दो,
गली गली उसी ढपली को फिर बजाने लगे।

जो भीड़ आई है रैली में, है किराये की,
वो जिसके ज़ोर पे क़द को बड़ा दिखाने लगे।

बहा के ख़ून के दरिया सभी सियासतदां,
हर एक ख़ून के क़तरे से फ़ैज़ उठाने लगे।

ये देस लूट रहे हैं हमारे नेता जी,
जिसे आज़ाद कराने में थे ज़माने लगे।

हमारा मुल्क अभी भी जहाँ से बेहतर है,
जो लूट की है सियासत अगर ठिकाने लगे।


"मौलिक एवं अप्रकाशित"

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Comment by इमरान खान on March 13, 2014 at 10:29pm

सरिता भाटिया जी आपका धन्यवाद.

Comment by इमरान खान on March 13, 2014 at 10:28pm

जनाब अखिलेश कृष्ण साहब बहुत बहुत शुक्रिया.

Comment by इमरान खान on March 13, 2014 at 10:28pm

जनाब गिरिराज भाई आपको मेरी कोशिश पसंद आई शुक्रगुज़ार हूँ मैं आपका .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 13, 2014 at 9:20pm

हमारा मुल्क अभी भी जहाँ से बेहतर है,
जो लूट की है सियासत अगर ठिकाने लगे।............वाह! बहुत खूब

आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय इमरान जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2014 at 11:08am

जनाब इमरान भाई अच्छी ग़ज़ल है, सारे अशआर अच्छे हुये हैं बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Sarita Bhatia on March 13, 2014 at 10:39am

क्या बात इमरान भाई लाजवाब गजल सटीक 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 12, 2014 at 10:12pm

 आदरणीय इमरान भाई ,

मतलबिया नेताओं की पोल खोलती अच्छी रचना, हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 12, 2014 at 9:53pm

आ. इमरान भाई , लाजवाब सामयिक ग़ज़ल कही है , आपको तहे दिल दे बधाइयाँ ॥

हमारा मुल्क अभी भी जहाँ से बेहतर है,
जो लूट की है सियासत अगर ठिकाने लगे -------- बहुत खूब , भाई बहुत बधाइयाँ ॥

Comment by इमरान खान on March 12, 2014 at 10:08am

धन्यवाद ओमप्रकाश जी.

Comment by Omprakash Kshatriya on March 12, 2014 at 7:31am

इमरान जी आप ने रचना में पूरी राजनीति का खाका खीच दिया . बधाई .

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