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अच्छी ग़ज़ल कही है अनुराग
यहाँ लोगों ने काफी कुछ कह दिया है .. उनके कहे पर गौर करना जरूरी है
bahut umda
अनुराग जी अगर काफिया ठीक कर लें तो अच्छी ग़ज़ल हो जायेगी. बधाई स्वीकार करें
वाह वाह बहुत सुन्दर गजल है शभी शेर एक एक बढ़कर एक , बहुत गहन बात कही है आपने आदरणीय हार्दिक बधाई आपको
आ. अनुराग भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल कही है , आपको बधाइयाँ ॥ आ. केवल भाई जी की बात से मै सहमत हूँ , काफिया मे गडबड़ी लग रही है भाई जी फिर से देख लीजियेगा ॥
भाई अनुराग जी , हर एक शे'र के लिए कोटि कोटि दाद कबूल करें
लाजवाब गजल कही आपने आदरणीय अनुराग जी, एक से बढ़कर एक शेर .दिली दाद कुबूल कीजिये
पेट की मजबूरियां थीं, हम शहर में बस गए
गाँव हमको ख्वाब में वापस बुलाता रह गया
अत्यन्त सुन्दर रचना....
आप के अल्फाज़ मेरी रूह में यों छप गए
और मेरा दिल गज़ल ये गुनगुनाता रह गया...
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