For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ़क़त दो चार पल की बात है ये ( ग़ज़ल - गिरिराज भन्डारी )

1222     1222     122 

फ़क़त दो चार पल की बात है ये

हाँ, बस इक रात जैसी रात है ये

कबूतर, तुम यक़ीं करना समझ कर

कहूँ क्या? आदमी की जात है ये

 

रफ़ाक़त आप कैसे कह रहे हैं ?

असल में पीठ खाई घात है ये

 

ख़िरदमन्दी से थोड़ी सी अलग है

न समझोगे दिलों की बात है ये,

ख़िरदमन्दी - बुद्धिमानी

 

मेरी इस बेबसी को दो दुआयें

रफीकों से मिली सौगात है ये

 

जो लब खामोश,जोड़े हाथ हैं तो

समझ लो बिन लड़े ही मात है ये

*************************

 

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 792

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 18, 2014 at 1:16am

कबूतर, तुम यक़ीं करना समझ कर

कहूँ क्या? आदमी की जात है ये

उम्दा शेर ...बधाई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 27, 2014 at 8:54pm

आदरनीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभार ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 27, 2014 at 7:11pm

आदरणीय कबूतर वाला शेर बहुत अच्छा हुआ है.

बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 26, 2014 at 9:46pm

आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 26, 2014 at 8:37pm

कबूतर, तुम यक़ीं करना समझ कर

कहूँ क्या? आदमी की जात है ये......................वाह! क्या कहने 

ये शेर बहुत पसंद आया आ० गिरिराज भंडारी जी..बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 24, 2014 at 5:57pm

आदरणीय वीनस भाई , आपका तहे दिल से शुक्रिया , दोनो ग़लतियाँ अभी सुधार लेता हूँ ॥

Comment by वीनस केसरी on March 24, 2014 at 1:19am

कबूतर, तुम यक़ीं करना समझ कर

कहूँ क्या? आदमी की जात है ये

बहुत खूब ज़नाब क्या कहने

 


ज़ज्बात जज़्बा का बहुवचन होता है इसलिए ज़ज्बात है ये कहना गलत है जज़्बात हैं ये होना चाहिए
बंधे को २२ मात्रा में बाँधा संभव नहीं है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 22, 2014 at 5:54pm

आदरणीय बड़े भाई अखिलेश जी , गज़ल की तारीफ पर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 22, 2014 at 1:08pm

छोटे भाई गिरिराज

अच्छी गज़ल , हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 22, 2014 at 10:10am

आदरणीय जितेन्द्र भाई , सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
42 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। उत्तम छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service